इस समय सबसे बड़ी चुनौती है -- "स्वधर्म की रक्षा", जो स्वधर्म के पालन से ही हो सकती है। स्वधर्म क्या है? इसे भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में बहुत अच्छी तरह से समझाया है। भारत का प्राण है "श्रीमद्भगवद्गीता", जिसने भारत की रक्षा घोर कलियुग में की है, और सदा करेगी।
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पूर्ण भक्ति के साथ -- श्रीमद्भगवद्गीता का नियमित स्वाध्याय, तदानुसार आचरण, व कूटस्थ-सूर्यमण्डल में पुरुषोत्तम का नियमित ध्यान -- इसी जीवन में भगवत्-प्राप्ति करा देंगे जो जीवन का एकमात्र उद्देश्य है। किसी भी तरह का संशय हो तो किन्हीं ब्रह्मनिष्ठ श्रौत्रीय आचार्य से मार्गदर्शन लें। अभी इस समय और कुछ भी लिखने योग्य नहीं है।
ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२५ सितंबर २०२२
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