प्रकृति के अटल शाश्वत नियम ---
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पुनर्जन्म/मृत्यु, दुःख/सुख, यश/अपयश, हानि/लाभ आदि में भगवान का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। यह कार्य हमारे पूर्व के कर्मों के अनुसार प्रकृति अपने नियमों से करती है। प्रकृति के नियमों को न जानना हमारा अज्ञान है। जब तक भगवत्-प्राप्ति नहीं होती तब तक कर्मफलों को भोगने के लिए किसी न किसी रूप में पुनर्जन्म होता ही रहेगा। इसे कोई नहीं रोक सकता।
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हमारा पुनर्जन्म होगा या नहीं ? इसे जानने का एक सीधा सा तरीका है। यदि किसी भी व्यक्ति में भौतिक मृत्यु के समय कुछ कामना हो जैसे -- opposite sex के प्रति आकर्षण, किसी से बदला लेने की भावना, या कुछ सांसारिक लाभ प्राप्त करने की इच्छा आदि, --- तो उसका पुनर्जन्म निश्चित है।
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पुनर्जन्म न हो, इसका उपाय श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है। सत्यनिष्ठा, भक्ति और समर्पण के संस्कारों के साथ, किशोरावस्था से ही किसी बालक में Opposite sex के प्रति आकर्षण की दिशा यदि परमात्मा की ओर मोड़ दी जाये, तो वह इस जन्म में ही परमात्मा को प्राप्त कर सकता है। विषय-वासनाओं के चिंतन के स्थान पर हरिःचिंतन करें। यदि वेदान्त-वासना जागृत हो जाये तो अन्य कुछ चाहिये भी नहीं।
ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१६ सितंबर २०२२
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