Saturday 29 October 2022

"खान" शब्द भगवान श्रीकृष्ण के एक नाम "कान्ह" का अपभ्रंस है ---

 "खान" शब्द भगवान श्रीकृष्ण के एक नाम "कान्ह" का अपभ्रंस है ---

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भगवान श्रीकृष्ण के देवलोक गमन के पश्चात भी सैंकड़ों वर्षों तक पूरे विश्व में उनकी उपासना की जाती थी। प्राचीन संस्कृत साहित्य में जिस शिव भक्त "किरात" जाति का उल्लेख है, वह "मंगोल" जाति ही है। उन में "कान्ह" शब्द बहुत सामान्य था, जो अपभ्रंस होकर "हान" हो गया। चीन के बड़े बड़े सामंत स्वयं के नाम के साथ "हान" की उपाधी बड़े गर्व के साथ लगाते थे। यही "हान" शब्द और भी अपभ्रंस होकर "खान" हो गया। प्रख्यात इतिहासकार श्री पुरुषोत्तम नागेश ओक, और अन्य अनेक इतिहासकारों का यही मत है।
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मंगोलिया के महा नायक चंगेज़ खान का वास्तविक नाम मंगोल भाषा में "गंगेश हान" (अंग्रेजी में Genghis Khan) था। यह उसका संस्कृत भाषा में एक हिन्दू नाम था। वह किसी आसुरी दैवीय शक्ति का उपासक था, जो उसे बता देती थी कि उसे कहाँ कहाँ और कैसे आक्रमण करना है, और कैसे विजय प्राप्त करनी है। वह सदा विजयी रहा। कालांतर में उसके सगे पौत्र कुबलई खान (चंगेज़ खान के सबसे छोटे बेटे तुलई खान का बेटा) ने बौद्ध मत स्वीकार कर लिया और बौद्ध मत का प्रचार किया।
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"कुबलई" शब्द संस्कृत भाषा के "कैवल्य" शब्द का अपभ्रंस है। कुबलई खान के समय ही चीनी लिपि का अविष्कार हुआ। उसी के समय मार्को पोलो ने चीन की यात्रा की थी। कुबलाई खान का राज्य उत्तर में साईबेरिया की बाइकाल झील (विश्व की सर्वाधिक गहरी मीठे पानी की झील) से दक्षिण में विएतनाम तक, और पूर्व में कोरिया से लेकर पश्चिम में कश्यप सागर तक था। पिछले एक हज़ार में हुआ वह अकेला ही इस पृथ्वी के २०% भूभाग का शासक था। उसी ने तिब्बत के प्रथम दलाई लामा की नियुक्ति की थी।
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वर्तमान में जो इतिहास पढ़ाया जाता है ,वह पश्चिमी लेखकों का लिखा हुआ है।
पश्चिमी लोगों ने अपने से अतिरिक्त अन्य सब की अत्यधिक कपोल कल्पित बुराइयाँ ही की हैं। योरोपियन लोग इतिहास के सबसे बड़े लुटेरे थे, अतः उन्होंने अपने से अलावा सबको लुटेरा ही बताया है। भारत में आया पहला यूरोपीय व्यक्ति वास्को-डी-गामा था जो एक नर पिशाच समुद्री डाकू था। भारत में जो अँग्रेज़ सबसे पहिले आये वे सब भी लुटेरे समुद्री डाकू थे। भारत पर जिन यूरोपीयों ने अधिकार किया वे सब -- चोर, लुटेरे डाकू, धूर्त, और बदमाश श्रेणी के सजा पाए हुए लोग थे, जिन्हें अपनी सजा काटने के लिए यहाँ भेजा गया था। विश्व में सबसे अधिक नर-संहार और लूट-खसोट यूरोपीय लोगों ने ही की है।
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योरोपियन इतिहासकारों ने सिकंदर को महान योद्धा और चंगेज़ खान को लुटेरा सिद्ध किया है। निष्पक्ष दृष्टी से देखने पर मुझे चंगेज़ खान की उपलब्धियाँ सिकंदर से बहुत अधिक लगती हैं। मंगोलिया कभी विभिन्न घूमंतू जातियों द्वारा शासित था। चंगेज़ खान ने मंगोलियाई साम्राज्य की स्थापना की। पश्चिमी एशिया में इस्लाम के अनुयायियों का मंगोलों ने बहुत बड़ा नरसंहार किया था। बग़दाद का खलीफा जो इस्लामी जगत का मुखिया था, एक नौका में बैठकर टाइग्रस नदी में भाग गया था, जिसे चंगेज़ खान की मंगोल सेना नदी के मध्य से पकड़ लाई और एक गलीचे में लपेट कर लाठियों से पीट पीट कर हत्या कर दी। कालांतर में पश्चिमी एशिया में बचे खुचे मंगोलों ने इस्लाम अपना लिया, पर इस्लाम मंगोलिया की मुख्य भूमि तक कभी भी नहीं पहुँच पाया।
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चंगेज़ खान के भय से ही आतंकित होकर मध्य एशिया के कुछ मुसलमान कश्मीर में शरणार्थी होकर आये और आगे जाकर छल-कपट से कश्मीर के शासक बन गए व हिन्दुओं पर बहुत अधिक अत्याचार किये। इसका वर्णन "राजतरंगिनी" नामक ग्रंथ में उसके लेखक कल्हन ने किया है।
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चंगेज़ खान का अधिकाँश समय घोड़े की पीठ पर ही व्यतीत होता था। घोड़े की पीठ पर चलते चलते ही वह सो भी लेता था। चंगेज खान के समय ही घोड़े पर बैठने की आधुनिक काठी व काठी के नीचे पैर रखने के लोहे के मजबूत पायदान का आविष्कार हुआ था। बहुत तेजी से भागते हुए घोड़े की पीठ पर से तीर चलाकर अचूक निशाना लगाने का उसे पक्का अभ्यास था, जो प्रायः उसके सभी अश्वारोहियों को भी था। जो उसके सामने समर्पण कर देता, उसे तो वह जीवित छोड़ देता था, अन्य सब का वह बड़ी निर्दयता से वध करा देता था।
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एक और प्रश्न उठता है यदि चंगेज़ खान मात्र लुटेरा था तो उसका पोता कुबलई ख़ान (मंगोल भाषा में Хубилай хаан; चीनी में 忽必烈; २३ सितम्बर १२१५ – १८ फ़रवरी १२९४) चीन का सबसे महान शासक कैसे हुआ? कुबलई ख़ान -- चंगेज़ ख़ान के सबसे छोटे बेटे तोलुइ ख़ान का बेटा था। उसके राज्य में मंगोलों से एक समय पूरा यूरोप और एशिया काँपती थी।
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वर्षों पूर्व जापान और दक्षिण कोरिया के कुछ प्रसिद्ध बौद्ध मठों के भ्रमण का मुझे अवसर मिला था। बहुत पुरानी बातें हो गई हैं, जो अब स्मृति से लुप्त हो रही हैं। कई पुराने चित्र और फोटोग्राफ भी थे। अब पता नहीं कहाँ हैं। सब महत्वहीन बातें हो गई हैं। आप ने इस लेख को पढ़ा, इसके लिए आपको धन्यवाद और नमन !!
ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१७ मई २०१५
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नीचे का पहला चित्र चंगेज़ खान का है, और दूसरा चित्र उसके पोते कुबलई खान का है।

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