अपनी अपनी समझ ---
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आध्यात्म में किसी भी विषय पर सबकी समझ अलग अलग होती है। जिनके जीवन में सतोगुण प्रधान होता है उनकी समझ अलग होती है। जिन में रजोगुण प्रधान है उनकी समझ अलग होती है। तमोगुण वालों की समझ अलग होती है।
ज्ञान और भक्ति की बातें सतोगुणी ही समझ सकते हैं। अच्छे कर्म की बातें रजोगुणी ही समझ सकते हैं। तमोगुणी लोगो को मार-काट के अलावा और कुछ भी समझ में नहीं आता। उल्टा-सीधा वे अपना स्वयं का मत ही दूसरों पर थोपना चाहते हैं।
ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२९ सितंबर २०२२
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