(प्रश्न): भारत के मूस्लिम समाज में "खान" शब्द का प्रचलन कैसे हुआ?
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(उत्तर): दक्षिण भारत के कुछ अति अति अल्प भागों में इस्लाम का आगमन अरब व्यापारियों के साथ हुआ था। लेकिन इस्लाम मुख्यतः मध्य एशिया, विशेषकर उज्बेकिस्तान के आक्रमणकारियों के द्वारा अफगानिस्तान के मार्ग से भारत में आया था। ये स्वयं को तुर्क कहते थे। तुर्की की सल्तनत-ए-उस्मानिया के प्रति उनमें बहुत सम्मान था। "हान" से अपभ्रंस होकर बने "खान" शब्द का तत्कालीन प्रचलित अर्थ था -- "महाराजाधिराज", "महाराजा" आदि। १२वीं तथा १३वीं सदी ई. में तुर्क लोग "खान" शब्द का प्रयोग राज्य के सर्वोच्च अधिकारी के लिए किया करते थे। यह शब्द सत्ता के शिखर पर बैठे व्यक्ति के लिए ही प्रयुक्त होता था। बाद में अफगानिस्तान में स्वयं के नाम के साथ "खान" लिखने का एक प्रचलन सा चल पड़ा था। इस तरह भारत के पठानों में खान शब्द सामान्य हो गया, और अनेक लोग अपने नाम के साथ "खान" लिखने लगे।
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आज से ३४ वर्ष पूर्व सन १९८८ में मध्य एशिया के दो तातार मुसलमान विद्वानों से मेरी भेंट और चर्चा यूक्रेन के ओडेसा नगर में हुई थी। उन्होने मुझे बड़े सम्मान से अपने घर पर निमंत्रित किया और सप्रमाण कई बातें बताईं। उनमें से एक तो अति वृद्धा विदुषी महिला डेन्टिस्ट डॉक्टर थी जो चीन की जेलों में एक राजनीतिक वंदी के रूप में १० वर्ष बिता चुकी थी। उसके स्वर्गीय पति मंचूरिया में एक व्यापारी थे। अपनी खोई हुई बेटी उसे यूक्रेन के ओडेसा नगर में मिली। फिर वह भी वहीं बस गई। अब तो वह विदुषी महिला जीवित नहीं है, लेकिन उसकी विद्वता और ज्ञान बहुत अधिक था। उस ने रूसी भाषा में लिखी इतिहास की अनेक पुस्तकें दिखाईं और बताया कि इस्लाम के आगमन से पूर्व पूरे मध्य एशिया में बौद्ध मत था, और बौद्ध मत से पूर्व सनातन हिन्दू धर्म था।
॥इति॥
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