नवार्ण मंत्र :---
इन दिनों कुछ मंचों पर "नवार्ण मंत्र" के ऊपर चर्चा चल रही है। मैं बड़ी विनम्रता से अपने विचार व्यक्त करने का दुःसाहस कर रहा हूँ। यदि मेरी बात बुरी लगे तो मेरे इस लेख को मत पढ़ना। मैं जो भी लिख रहा हूँ वह मेरा अनुभव है कोई कपोल-कल्पना नहीं।
(१) नवार्ण मंत्र की पूरी विधि गीता-प्रेस गोरखपुर की पुस्तक में दी हुई है। मैं यहाँ सिर्फ अपना अनुभव ही जोड़ रहा हूँ।
(२) मंत्र का आरंभ निष्काम साधना में "ॐ" के संपुट से ही करना चाहिए। सकाम का मुझे पता नहीं। कभी सकाम साधना की भी नहीं है।
(३) कर्ता भाव से मुक्त होकर निमित्त मात्र होकर ही साधना करें। कूटस्थ में पूर्ण स्थिति हो। वहीं रहते रहते कुछ देर तक क्रिया करें।
यह भाव रखें कि सारी साधना स्वयं भगवती कर रही है। हम साक्षी मात्र हैं।
(४) फिर महासरस्वती के वाग्भव बीज मंत्र "ऐं" का जाप मूलाधार चक्र (ब्रहमग्रन्थि) पर करें। (इसका उच्चारण "अईम्" होता है)
(५) फिर महालक्ष्मी के बीज मंत्र "ह्रीं" का जाप अनाहत चक्र (विष्णु ग्रंथि) पर करें।
(६) फिर महाकाली के बीज मंत्र "क्लीं" का जाप आज्ञा चक्र (रुद्र ग्रंथि) पर करें।
(७) यह भाव रखें कि इन तीनों ग्रंथियों का भेदन हो रहा है। भगवती के ये तीनों रूप जागृत हो रहे हैं।
(८) फिर सहस्त्रार चक्र में आकर "चामुंडाय विच्चे" से मंत्र का समापन करें। कुछ क्षणों तक सहस्त्रार चक्र में ज्योतिर्मय ब्रह्म का ध्यान प्रणव मंत्र के साथ करें।
(९) फिर ॐ का मानसिक जाप करते हुए पुनश्च नीचे मूलाधार चक्र में जाकर पूरी विधि का प्रारम्भ करें।
(१०) इस साधना का एकमात्र उद्देश्य भगवती की प्रसन्नता है। किसी भी तरह की कोई कामना न हो।
इस मंत्र से होने वाले लाभ :---
(१) महाकाली सारी दुष्वृत्तियों व काम-वासना का नाश करती है।
(२) महालक्ष्मी सारे सद्गुण प्रदान करती हैं।
(३) महासरस्वति आत्म-ज्ञान प्रदान करती है।
पुनश्च :--
आप सब में गुरु महाराज और जगन्माता को नमन !!
॥ ॐ ऐं गुरवे नमः॥"
॥इति॥
किसी भी तरह का संदेह हो तो भगवती से प्रार्थना करें। मैं किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाऊँगा। इतना समय मेरे पास नहीं है। धन्यवाद !!
मैंने आज तक जितनी भी साधना की है वह निष्काम भाव से की है। कभी कुछ भी नहीं चाहा है, चाहूँगा भी नहीं। सारे फल और सारी कामनाएँ भगवान वासुदेव को समर्पित है। एकमात्र लाभ यही हुआ कि भगवान हर समय मुझे याद करते हैं। मेरी इतनी औकात नहीं है कि भगवान को याद कर सकूँ।
ॐ ॐ ॐ !!
महाकाली का बीजमंत्र "क्लीं" बहुत अधिक शक्तिशाली है। यह भगवान श्रीकृष्ण का भी बीजमंत्र है, और कामदेव का भी। इसके विधिवत् जप से मनुष्य की काम-वासना का शमन भी होता है। इसका जप (ॐ क्लीं) अनेक परंपराओं में है।
ॐ ऐं गुरवे नमः !! सभी को नमन !!
२९ सितंबर २०२२
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