Friday, 7 October 2016

बड़ी से बड़ी सेवा और बड़े से बड़ा कर्तव्य .....

बड़ी से बड़ी सेवा और बड़े से बड़ा कर्तव्य .....
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बड़ी से बड़ी और ऊँची से ऊँची सेवा जो हम अपने जीवन में कर सकते हैं वह है "निज जीवन में ईश्वर को व्यक्त करना"| यही सनातन धर्म है| यही भारत की अस्मिता और पहिचान है|
बिना सनातन धर्म के भारत, भारत नहीं है|
भारत ही सनातन धर्म है और सनातन धर्म ही भारत है|
भारत आज भी यदि जीवित है तु उन महापुरुषों, साधू-संतों के कारण जीवित हैं जिन्होंने निज जीवन में ईश्वर को व्यक्त किया, न कि धर्मनिरपेक्ष नेताओं, मार्क्सवादियों, अल्पसंख्यकवादियों, समाजवादियों और तथाकथित राजनीतिक सुधारवादियों के कारण|
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भारत में एक से एक बड़े बड़े चक्रवर्ती सम्राट हुए, महाराजा पृथु जैसे राजा हुए जिन्होंने पूरी पृथ्वी पर राज्य किया और जिनके कारण यह ग्रह "पृथ्वी" कहलाता है| एक से एक बड़े बड़े सेठ साहूकार हुए| भारत में इतना अन्न होता था कि सम्पूर्ण पृथ्वी के लोगों का भरण पोषण कर सकता था| एक छोटा मोटा गाँव भी हज़ारों लोगो को भोजन करा सकता था| लोग सोने कि थालियों में भोजन कर थालियों को फेंक दिया करते थे| राजा लोग हज़ारों गायों के सींगों में सोना मंढा कर ब्राह्मणों को दान में दे दिया करते थे| पर हम अपनी संस्कृति में उन चक्रवर्ती राजाओं और सेठ-साहूकारों को आदर्श नहीं मानते और ना ही उनसे कोई प्रेरणा लेते हैं| हम आदर्श मानते हैं और प्रेरणा लेते हैं तो भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण से, क्योंकि उनके जीवन में परमात्मा अवतरित थे|
हमारे आदर्श और प्रेरणास्त्रोत सदा ही भगवान के भक्त और प्रभु को पूर्णतः समर्पित संतजन रहे हैं| और उन्होंने ही हमारी रक्षा की है, और वे ही हमारी रक्षा करेंगे|
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इस पृथ्वी पर चंगेज़, तैमूर, माओ, स्टालिन, हिटलर, मुसोलिनी, अँगरेज़ शासकों, व मुग़ल शासकों जैसे क्रूर अत्याचारी और कुबलई जैसे बड़े बड़े सम्राट हुए पर वे मानवता को क्या दे पाए ? अनेकों बड़े बड़े अधर्म फैले और फैले हुए हैं, वे क्या दे पाए हैं या भला कर पाए हैं ? कुछ भी नहीं ! पृथ्वी पर कुछ भला होगा तो उन्हीं लोगों से होगा जिनके ह्रदय में परमात्मा है|

ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
October 8, 2014 at 6:14am

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