उपदेश तो बहुत अधिक हैं, वेदों, उपनिषदों, गीता आदि ग्रंथों में ज्ञान भरा पड़ा है| पर उसे आत्मसात करने में हम असमर्थ हैं|
आवश्यकता है निरंतर सत्संग द्वारा प्रभु से प्रेम बढ़ाकर किसी श्रौत्रीय, ब्रह्मनिष्ठ, आत्म-साक्षात्कार प्राप्त महात्मा आचार्य से मार्गदर्शन प्राप्त कर उनके सान्निध्य में साधना करें|
परमात्मा परम दयालू हैं| प्रार्थना करने से वे मार्गदर्शन निश्चित रूप से करते हैं|
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ !!
आवश्यकता है निरंतर सत्संग द्वारा प्रभु से प्रेम बढ़ाकर किसी श्रौत्रीय, ब्रह्मनिष्ठ, आत्म-साक्षात्कार प्राप्त महात्मा आचार्य से मार्गदर्शन प्राप्त कर उनके सान्निध्य में साधना करें|
परमात्मा परम दयालू हैं| प्रार्थना करने से वे मार्गदर्शन निश्चित रूप से करते हैं|
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ !!
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