जैसे सूर्य की दो शक्तियाँ हैं ..... छाया और प्रकाश, वैसे ही परब्रह्म परमात्मा की दो शक्तियाँ है ..... विद्या और अविद्या|
सूर्य की तरफ आप मुख करेँ तो प्रकाश मिलता है और सूर्य की तरफ पीठ करें तो छाया मिलती है, वैसे ही ईश्वर कि ओर उन्मुख होने से विद्या प्राप्त होती है और विमुख होने से अविद्या|
विद्या उसे ही कहते हैं जो ईश्वर का बोध कराती हो, बाकी सब अविद्या है|
सूर्य की तरफ आप मुख करेँ तो प्रकाश मिलता है और सूर्य की तरफ पीठ करें तो छाया मिलती है, वैसे ही ईश्वर कि ओर उन्मुख होने से विद्या प्राप्त होती है और विमुख होने से अविद्या|
विद्या उसे ही कहते हैं जो ईश्वर का बोध कराती हो, बाकी सब अविद्या है|
जो हम वर्त्तमान में पढ़ रहे हैं वह सब सांसारिक ज्ञान अविद्या ही है|
विद्या और अविद्या दोनों का ज्ञान आवश्यक है| अविद्या के बिना विद्या भी किसी काम नहीं आती|
विद्यां च अविद्या च यस्त द्वेदोभय सह | अविद्यया मृत्युं तीर्त्वा विद्ययामृतमश्नुते -----
विद्या और अविद्या दोनों का ज्ञान आवश्यक है| अविद्या के बिना विद्या भी किसी काम नहीं आती|
विद्यां च अविद्या च यस्त द्वेदोभय सह | अविद्यया मृत्युं तीर्त्वा विद्ययामृतमश्नुते -----
No comments:
Post a Comment