Saturday, 8 March 2025

जगन्माता ही एकमात्र स्त्री हैं, अन्य सब उन्हीं की अभिव्यक्तियाँ हैं ---

 जगन्माता ही एकमात्र स्त्री हैं, अन्य सब उन्हीं की अभिव्यक्तियाँ हैं ---

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस आज है। जीवन की पृथक पृथक अवस्थाओं व परिस्थितियों में नारी के प्रति भावनाएं भी पृथक पृथक होती हैं। नारी किसी की माता भी है, किसी की पुत्री है, किसी की बहिन है, तो किसी की प्रेयसी भी है। महाकवि जयशंकर प्रसाद के शब्दों में --
“नारी! तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग पग तल में;
पीयूष स्रोत सी बहा करो, जीवन के सुंदर समतल में।"
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इस समय वर्तमान में जहां तक मेरी चेतना जाती है, नारी में केवल माता का ही रूप मेरे समक्ष आता है। देव और दानवों का युद्ध अंतर में सदा चलता रहता है। अंततः देवों की विजय, और दानवों की पराजय ही होती है।
क्रियायोग की साधना तो मैं करता ही हूँ। मन की प्रबल वासनाओं से स्वयं को मुक्त करने के लिए मैंने शिव को गुरु मानकर भगवती छिन्नमस्ता की आराधना शरणागत होकर एक लंबे समय तक की है। भगवती की प्रेरणा से एक सिद्ध दण्डी स्वामी महात्मा के साथ कई दिन रहकर उन्हीं की कृपा से भगवती श्रीविद्या के रहस्य भी सीखे। अब तो सभी माताओं में मुझे जगन्माता भगवती त्रिपुर सुंदरी के ही दर्शन होते हैं। मानसिक रूप से मैं समस्त मातृशक्ति की जगन्माता/भगवती के रूप में चरण वंदना करता हूँ। यही मेरा स्वभाविक महिला दिवस है। जगन्माता को नमन॥ ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ॥
कृपा शंकर
८ मार्च २०२५

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