"ॐ विश्वं विष्णु:-वषट्कारो भूत-भव्य-भवत- प्रभुः। भूत-कृत भूत-भृत भावो भूतात्मा भूतभावनः॥" ॐ ॐ ॐ ॥
.
(प्रश्न) : क्या अन्य भी कोई है?
(उत्तर) : कोई भी या कुछ भी अन्य नहीं है। एकमात्र अस्तित्व विष्णु का है। वे ही यह समस्त सृष्टि बन गये हैं। सारे विचार, सारी ऊर्जा, सारा अनंत विस्तार, बिन्दु, गति, प्रवाह, आवृतियाँ और प्राण केवल वे ही हैं। कहीं पर कुछ भी अन्य नहीं है। वे ही परमशिव हैं, और वे ही परमब्रह्म हैं। उनकी चेतना में सब संभव है। उनके पादपद्म ही मेरा आश्रय है। वे मेरा समर्पण स्वीकार करें। ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
४ मार्च २०२५
No comments:
Post a Comment