Saturday, 8 March 2025

गुरुकृपा फलीभूत हो ---

 गुरुकृपा फलीभूत हो ---

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गुरुकृपा ही वेदान्त-वासना और भूमा-वासना की तृप्ति के रूप में फलीभूत होती है। गुरु रूप में स्वयं परमशिव ही 'दक्षिणामूर्ति' हैं। श्रीमद्भगवद्गीता के पंद्रहवें अध्याय में जिस पुरुषोत्तम-योग का उपदेश भगवान श्रीकृष्ण ने किया है, वह अंतिम योग, और योग-साधना की परिणिति है। उससे परे कुछ भी नहीं है। लेकिन वह गुरु-रूप में उनकी परम कृपा से ही समझ में आ सकता है। तभी मैं प्रार्थना करता हूँ कि "गुरुकृपा फलीभूत हो"।
हरिः ॐ तत्सत् !! ॐ नमः शिवाय !! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२६ फरवरी २०२५

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