देश में बहू-विधान है या संविधान? संविधान का अर्थ होता है समान विधान, यानि एक देश, एक कानून। क्या देश में समान नागरिक संहिता है? पृथक-पृथक वर्गों के लिए पृथक-पृथक संहिताएँ क्यों हैं देश में? एक देश - एक कानून ही होना चाहिए सभी के लिए।
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मतान्धों द्वारा अवर्णनीय निकृष्टतम पैशाचिक अत्याचारों का शिकार बना कर जिस समय कश्मीर से रातों-रात लाखों हिंदुओं को भगाया गया था, उस समय देश में एक संविधान भी था, कानून-व्यवस्था भी थी, पुलिस, अर्ध-सैनिक बल, सेना, राज्य सरकार, केंद्र सरकार, उच्चतम न्यायालय और समाचार मीडिया भी था। लेकिन सब विफल हो गए। क्या सारे शीर्षस्थ नेतृत्व का मनुष्यता से पतन हो गया था? क्या वे रातों-रात मनुष्य से नर-पिशाच बन गए थे?
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वे और उनके वंशज चाहे कितनी भी सफाई दें, दैवीय सत्ता उन्हें कभी क्षमा नहीं करेगी। वे निश्चित रूप से दंड के भागी होंगे? कर्मों का फल निश्चित रूप से मिलता है।
जय अखंड भारत !! जय सत्य-सनातन-धर्म !!
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१६ मार्च २०२२
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