Tuesday, 19 April 2022

सिंहावलोकन ---

 सिंहावलोकन ---

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पिछले ६०-६५ वर्षों की स्पष्ट स्मृतियाँ है। समाज और राष्ट्र की जैसी परिस्थितियाँ देख रहा हूँ, उनसे कोई विशेष संतुष्टि नहीं है। जैसा जीवन मैंने जीया है, निश्चित रूप से उसमें और भी अधिक अच्छा कर सकता था। लेकिन प्रकृति अपने कर्मफलों व पुनर्जन्म के नियमों के अनुसार ही चलती है, न कि हमारी इच्छानुसार।
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मेरा चिंतन स्पष्ट है। मुझे किसी भी प्रकार का कोई संशय या भ्रम नहीं है। किसी भी अन्य से किसी भी प्रकार की कोई अपेक्षा, या मार्गदर्शन की आवश्यकता मुझे नहीं है। गुरुकृपा से सामने का परिदृश्य स्पष्ट है। जीवन में संतुष्टि और तृप्ति -- श्रीमद्भगवद्गीता, उपनिषदों व अन्य कुछ आगम ग्रन्थों के स्वाध्याय और परमात्मा के ध्यान से ही मिलती है। जीवन में परमात्मा की पूर्ण अभिव्यक्ति हो, इसके अतिरिक्त अन्य कोई अभीप्सा नहीं है। जीवन का अंतिम समय पूर्ण रूप से परमात्मा की चेतना में ही व्यतीत होगा।
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एक बात तो स्पष्ट है, और यह एक दैवीय आश्वासन भी है कि -- सत्य-सनातन-धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण निश्चित रूप से निकट भविष्य में होगा, व भारत में छाया असत्य का घना अंधकार भी दूर होगा। भारत निश्चित रूप से एक सत्यनिष्ठ आध्यात्मिक अखंड हिन्दू राष्ट्र बनेगा। इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है।
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परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति आप सब निजात्मगण को मेरा नमन, प्यार व मंगलमय शुभ कामनाएँ। ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२५ मार्च २०२२

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