आध्यात्मिक साधना का एकमात्र उद्देश्य है -- समष्टि का कल्याण, जो वर्तमान परिस्थितियों में तभी संभव है जब सत्य-सनातन-धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण हो; व राष्ट्र में छाये हुये असत्य के अंधकार का नाश हो।
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परमात्मा ही एकमात्र सत्य है। सत्य-सनातन-धर्म है -- निज जीवन में परमात्मा की पूर्ण अभिव्यक्ति, यानि भगवत्-प्राप्ति। भगवत्-प्राप्ति से ही अभ्यूदय और निःश्रेयस की सिद्धि संभव है।
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भारत एक सत्यनिष्ठ धर्मावलम्बी राष्ट्र हो, जहाँ की राजनीति सत्य-सनातन धर्म हो।
जय अखंड भारत !! जय सत्य-सनातन-धर्म !!
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१६ मार्च २०२२
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