Tuesday, 19 April 2022

मेरी दृष्टि में निष्काम कर्मयोग क्या है? ---

 मेरी दृष्टि में निष्काम कर्मयोग क्या है? ---

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कोई इच्छा नहीं है, कोई कामना नहीं है, कोई आकांक्षा नहीं है, परमात्मा स्वयं हमारे भीतर, बाहर और सर्वत्र स्वयम् बिराजमान हैं। परमात्मा एक प्रवाह हैं, जिन्हें हम अपने स्वयं के माध्यम से प्रवाहित होने दें।
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समष्टि के कल्याण के लिए हम निमित्त मात्र होकर जब परमात्मा को अपने माध्यम से कर्म करने देते हैं, तब वह हमारा "निष्काम कर्मयोग" है। उपासना के निमित्त जब हमारे माध्यम से परमात्मा स्वयं अपने स्वयं का ध्यान करते हैं, तब वह भी हमारा "निष्काम कर्मयोग" और हमारे "आत्मोत्थान व आत्मानुभूति का मूल" होता है। यह हमें क्षुद्र से महान बनाता है।
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ॐ स्वस्ति !! ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२६ मार्च २०२२

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