Tuesday 19 April 2022

उपासना ---

 उपासना ---

.
दिन में २४ घंटे, सप्ताह में सातों दिन, हम निरंतर धर्म, आध्यात्म, और भगवान की महिमा को ही लिखते या पढ़ते रहें, तो पूरा जीवन काल बीत जाएगा, लेकिन लिखने/पढ़ने का विषय और उसकी सामग्री कभी समाप्त नहीं होगी। अतः भगवान को अपना मन बापस दे दें, और भगवान के अलावा अन्य कुछ भी नहीं सोचने का अभ्यास करें। इस अभ्यास को "ध्यान साधना" कहते हैं। भगवान ने कृपा कर के यदि हमारे मन को स्वीकार कर लिया तो हमारी बुद्धि, चित्त और अहंकार भी स्वतः उन्हीं के हो जायेंगे। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के छठे अध्याय (आत्मसंयमयोग) में यह बात बहुत अच्छी तरह से समझाई है। इस पूरे अध्याय का समय समय पर पूर्ण मनोयोग से स्वाध्याय करते रहें। पूरी गीता का भी स्वाध्याय करें।
.
शांत होकर एक ऊनी कंबल के आसन पर बैठिये। मुख पूर्व या उत्तर दिशा में हो, कमर बिलकुल सीधी हो, और दृष्टिपथ भ्रूमध्य में हो। नितंबों के नीचे एक गद्दी लगा लें ताकि मेरुदंड सदा उन्नत रहे। यह भाव रखें कि हमारे समक्ष भगवान साक्षात स्वयं साकार होकर बैठे हैं, और उनके बिलकुल पास ही हम बैठे हैं। भगवान के बिलकुल समीप बैठने को ही "उपासना" कहते हैं। धीरे-धीरे स्वयं को तो भूल जाइए और भगवान को ही निरंतर स्मृति में रखिए। भगवान का एक विराट ज्योतिर्पुंज के रूप में सारी सृष्टि में विस्तार करें। वे सारी सृष्टि में और सारी सृष्टि उन में समाहित है। वे स्वयं ही सारी सृष्टि हैं। स्वयं की पृथकता के बोध और अस्तित्व को भी भगवान में समाहित कर दें।
.
अजपा-जप और नादानुसंधान का अभ्यास करें। इनकी विधि सविनय किन्हीं भी ब्रह्मनिष्ठ आचार्य से सीख लें। ब्रहमनिष्ठ आचार्य से उपदेश और आदेश लेकर ही आगे की साधना/उपासना करें। यदि सत्यनिष्ठा होगी तो भगवान स्वयं ही सिखाने आ जायेंगे।
.
जीवन में सदा यह भाव रखें की आप जो भी काम कर रहे हैं, वह काम आपके माध्यम से यानि आपको निमित्त बनाकर भगवान स्वयं कर रहे हैं। स्वयं को भगवान का एक उपकरण बना लीजिये जिसका उपयोग सिर्फ भगवान ही कर सकते हैं। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने इसे कई बार अनेक स्थानों पर समझाया है। उनका स्मरण नित्य निरंतर रखें। भगवान को कभी नहीं भूलें। वे भी आपको कभी नहीं भूलेंगे। और अधिक लिखने का लाभ नहीं है। सार की बात लिख दी है। कोई भी बात पूछनी हो तो अपने हृदय में बिराजमान भगवान से पूछिए, निश्चित रूप से उत्तर मिलेगा।
ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
२६ मार्च २०२२

No comments:

Post a Comment