29 March 2016
आज से एक सौ दो वर्ष पूर्व २९ मार्च १९१४ को एक महान ऐतिहासिक घटना हुई थी जिससे सम्पूर्ण विश्व में एक आध्यात्मिक क्रांति का सूत्रपात हुआ| इसी दिन श्रीमाँ ने पोंडिचेरी आकर श्री अरविन्द से भेंट की| यह एक महान ऐतिहासिक घटना थी जिसका पूरे विश्व की आध्यात्मिक चेतना पर प्रभाव पड़ा| भारत की स्वतंत्रता पर भी इसका प्रभाव पडा और भारत की स्वतंत्रता सुनिश्चित हुई|
श्री अरविन्द ने आश्रम का व सम्बन्धित सारा कार्य श्रीमाँ को सौंप दिया व स्वयं गहन साधना में चले गए| बाहर की दुनियाँ से उनका संपर्क सिर्फ श्रीमाँ के माध्यम से ही रहा| उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात्कार किया और भारत की स्वतंत्रता का वरदान माँगा| भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि तुम्हारे जन्मदिवस (15 अगस्त) को ही भारत स्वतंत्र होगा| उनका उत्तरपाड़ा में दिया भाषण एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है जिसे प्रत्येक भारतीय को पढना चाहिए|
भारत के भविष्य की रूपरेखा भी वे बना कर चले गए| यह कब होगा इसका समय तो उन्होंने नहीं बताया पर यह सुनिश्चित कर के चले गए कि एक अतिमानुषी चेतना का अवतरण होगा जो भारत का रूपान्तरण कर देगी| भारत की अखण्डता की भी भविष्यवाणी उन्होंने की है|
वे इतनी गहन साधना कर सके और इतना महान साहित्य रचा जिसमें अंग्रेजी भाषा का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य -- सावित्री -- भी है, श्रीमाँ के सक्रिय सहयोग के बिना सम्भव नहीं हो सकता था|
.
श्रीमाँ की उससे अगले दिन की डायरी का यह लेखन है ----
“It matters little that there are thousands of beings plunged in the densest ignorance, He whom we saw yesterday is on earth; his presence is enough to prove that a day will come when darkness shall be transformed into light, and Thy reign shall be indeed established upon earth.”
- The Mother
30 March 1914.
आज से एक सौ दो वर्ष पूर्व २९ मार्च १९१४ को एक महान ऐतिहासिक घटना हुई थी जिससे सम्पूर्ण विश्व में एक आध्यात्मिक क्रांति का सूत्रपात हुआ| इसी दिन श्रीमाँ ने पोंडिचेरी आकर श्री अरविन्द से भेंट की| यह एक महान ऐतिहासिक घटना थी जिसका पूरे विश्व की आध्यात्मिक चेतना पर प्रभाव पड़ा| भारत की स्वतंत्रता पर भी इसका प्रभाव पडा और भारत की स्वतंत्रता सुनिश्चित हुई|
श्री अरविन्द ने आश्रम का व सम्बन्धित सारा कार्य श्रीमाँ को सौंप दिया व स्वयं गहन साधना में चले गए| बाहर की दुनियाँ से उनका संपर्क सिर्फ श्रीमाँ के माध्यम से ही रहा| उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण का साक्षात्कार किया और भारत की स्वतंत्रता का वरदान माँगा| भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि तुम्हारे जन्मदिवस (15 अगस्त) को ही भारत स्वतंत्र होगा| उनका उत्तरपाड़ा में दिया भाषण एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है जिसे प्रत्येक भारतीय को पढना चाहिए|
भारत के भविष्य की रूपरेखा भी वे बना कर चले गए| यह कब होगा इसका समय तो उन्होंने नहीं बताया पर यह सुनिश्चित कर के चले गए कि एक अतिमानुषी चेतना का अवतरण होगा जो भारत का रूपान्तरण कर देगी| भारत की अखण्डता की भी भविष्यवाणी उन्होंने की है|
वे इतनी गहन साधना कर सके और इतना महान साहित्य रचा जिसमें अंग्रेजी भाषा का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य -- सावित्री -- भी है, श्रीमाँ के सक्रिय सहयोग के बिना सम्भव नहीं हो सकता था|
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श्रीमाँ की उससे अगले दिन की डायरी का यह लेखन है ----
“It matters little that there are thousands of beings plunged in the densest ignorance, He whom we saw yesterday is on earth; his presence is enough to prove that a day will come when darkness shall be transformed into light, and Thy reign shall be indeed established upon earth.”
- The Mother
30 March 1914.
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