हे भगवन, हे परमात्मा, हे पुरुषोत्तम, आपको नमन !! आप के कूटस्थ सूर्यमण्डल का आवरण बहुत अधिक ज्योतिर्मय है, जिसका भेदन करने में मैं असमर्थ हूँ। आपके स्वरूप का बोध मुझ अकिंचन को नहीं हो रहा है। आप अपना दर्शन भी दो। मेरी अंतर्दृष्टि आपके ज्योतिर्मय आवरण का भेदन करने में असमर्थ है। मेरा चिंतन, मनन, निदिध्यासन और ध्यान इस समय कुछ भी काम नहीं आ रहा है। हे सत्यस्वरूप, अपने आवरण को हटाइये, मैं प्रतीक्षारत हूँ। ॐ ॐ ॐ !!
Saturday, 30 November 2024
"ॐ नमस्तुभ्यं नमो मह्यं तुभ्यं मह्यं नमोनमः। अहं त्वं त्वमहं सर्वं जगदेतच्चराचरम्॥" ---
"ॐ नमस्तुभ्यं नमो मह्यं तुभ्यं मह्यं नमोनमः। अहं त्वं त्वमहं सर्वं जगदेतच्चराचरम्॥"
जन्म के साथ ही पूर्ण ज्ञान, पूर्ण भक्ति और पूर्ण वैराग्य हो ---
जन्म के साथ ही पूर्ण ज्ञान, पूर्ण भक्ति और पूर्ण वैराग्य हो ---
Friday, 29 November 2024
हे श्रीकृष्ण, हे गोविंद, हे नारायण, हे वासुदेव, तुम्हीं मेरे जीवन हो ---
हे श्रीकृष्ण, हे गोविंद, हे नारायण, हे वासुदेव, तुम्हीं मेरे जीवन हो ---
हमारे अन्तःकरण (मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार) में भगवान स्वयं हैं ---
हमारे अन्तःकरण (मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार) में भगवान स्वयं हैं। वे कभी हमसे दूर हो ही नहीं सकते। हमारा लोभ और अहंकार ही हमें भगवान से दूर करता है। अहंकार के भी दो रूप होते हैं। एक हमें भगवान से दूर करता है, दूसरा हमें भगवान से जोड़ता है।
निज जीवन में पूर्णता को प्राप्त किए बिना तृप्ति और संतुष्टि नहीं मिलती। लेकिन पूर्णता को हम कैसे प्राप्त हों? ---
"ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पुर्णमुदच्यते।
Thursday, 28 November 2024
ईश्वर से कुछ मांगना क्या उनका अपमान नहीं है ---
ईश्वर से कुछ मांगना क्या उनका अपमान नहीं है? हम तो यहाँ उनका दिया हुआ सामान उनको बापस लौटाना चाहते हैं। उनका दिया हुआ सबसे बड़ा सामान है -- हमारा अन्तःकरण। यदि वे हमारा अन्तःकरण (मन, बुद्धि, चित्त, और अहंकार) स्वीकार कर लें तो उसी क्षण हम उन्हें उपलब्ध हो जाते हैं। यह समर्पण का मार्ग ही सर्वश्रेष्ठ है। बाकी तो व्यापार है कि हम तुम्हारी यह साधना करेंगे, वह साधना करेंगे, और तुम हमें वह सामान दोगे।
साधु, सावधान !! भटक रहे हो, अभी भी समय है, स्वयं को सुधार लो, अन्यथा पछताना पड़ेगा ---
साधु, सावधान !! भटक रहे हो, अभी भी समय है, स्वयं को सुधार लो, अन्यथा पछताना पड़ेगा ---
हमारा पीड़ित, दुःखी और बेचैन होना एक बहुत ही अच्छा और शुभ लक्षण है ---
हमारा पीड़ित, दुःखी और बेचैन होना एक बहुत ही अच्छा और शुभ लक्षण है ---
Wednesday, 27 November 2024
आज की दुनियाँ में किसी भी व्यक्ति को बहुत सीधा-साधा और सत्य/धर्मनिष्ठ नहीं दिखना चाहिए ---
आज की दुनियाँ में किसी भी व्यक्ति को बहुत सीधा-साधा और सत्य/धर्मनिष्ठ नहीं दिखना चाहिए। भीतर से सीधे-साधे और सत्य/धर्मनिष्ठ रहो, लेकिन अपनी सत्य/धर्मनिष्ठा को छिपा कर रखो। बाहर से ऐसे रहो कि देखने वाला आपको एक बहुत खतरनाक और जहरीला इंसान समझे। आज की दुनियाँ और समाज ही ऐसे हैं। सीधे-साधे और धर्मनिष्ठ व्यक्ति को सबसे अधिक छला, ठगा और परेशान किया जाता है। सीधे वृक्ष और सीधे व्यक्ति पहले काटे जाते हैं। वर्तमान समाज में यदि जीवित रहना है तो दुष्ट और कुटिल होने का झूठा दिखावा करना ही होगा।
जीवन का हर पल आनंद है, पूरा जीवन एक उत्सव है ---
जीवन का हर पल आनंद है। पूरा जीवन एक उत्सव है। इस उत्सव को भगवान में स्थित होकर मनाओ। भगवान हमारे से पृथक नहीं, हमारे साथ एक हैं। भगवान सत्यनारायण हैं।
आत्मा को ही उपलब्ध होने की एक अभीप्सा/उत्कंठा है ---
आध्यात्म में मेरी बौद्धिक भूख-प्यास तो अब तक पूरी तरह तृप्त हो चुकी है। बौद्धिक स्तर पर किसी भी तरह का कोई संशय, या समझने/जानने योग्य कुछ भी नहीं बचा है। महत्वहीन विषयों में मेरी कोई रुचि नहीं है। सिर्फ आत्मा को ही उपलब्ध होने की एक अभीप्सा/उत्कंठा है, जो आत्मा की साधना/उपासना से ही तृप्त होगी। अन्य बौद्धिक विषयों में रुचि समाप्त हो गई है, विहंगावलोकन की भी कोई अभिलाषा नहीं है।
लगता है ३० मार्च २०२५ के पश्चात नव-निर्माण की एक नयी व्यवस्था का जन्म होगा। उससे पूर्व ही महाविनाश पूर्ण हो चुका होगा ---
लगता है ३० मार्च २०२५ के पश्चात नव-निर्माण की एक नयी व्यवस्था का जन्म होगा। उससे पूर्व ही महाविनाश पूर्ण हो चुका होगा ---
(प्रश्न) : भगवान के ध्यान से हमें क्या मिलेगा? (उत्तर) : जो कुछ भी हमारे पास है, वह सब कुछ छीन लिया जाएगा।
(प्रश्न) : भगवान के ध्यान से हमें क्या मिलेगा?
Tuesday, 26 November 2024
आजकल देरी से विवाह के कारण अनेक सामाजिक समस्याओं का जन्म हो रहा है ---
आजकल देरी से विवाह के कारण अनेक सामाजिक समस्याओं का जन्म हो रहा है। विवाह योग्य लड़के भी नहीं मिलते और लड़कियाँ भी नहीं मिलतीं। बहुत देरी से विवाह होते हैं, जिसके कारण अनेक समस्याएँ जन्म ले रही हैं। दोनों ही ओर से महत्वाकांक्षाएँ बहुत अधिक बढ़ गई हैं।
दुनियाँ कुछ भी कहे कोई फर्क नहीं पड़ता, हम अपना कर्मयोग करते रहेंगे ---
दुनियाँ कुछ भी कहे कोई फर्क नहीं पड़ता, हम अपना कर्मयोग करते रहेंगे ---
भगवान ही एकमात्र सत्य है, बाकी सब मिथ्या है ---
भगवान ही एकमात्र सत्य है, बाकी सब मिथ्या है ---
हम भगवान से क्या माँगें?
हम भगवान से क्या माँगें?
Monday, 25 November 2024
आध्यात्मिक साधना, समत्व, अनन्य-योग और पराभक्ति ---
अपने अन्तःकरण (मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार) का परमात्मा को पूर्ण समर्पण ही आध्यात्मिक साधना है। यही समत्व है, यही अनन्य-योग है, और यही पराभक्ति है। इसका अभ्यास करते करते हमारी प्रज्ञा परमात्मा में स्थिर हो जाती है, और ब्राह्मी-स्थिति प्राप्त होती है। हम स्वयं स्थितप्रज्ञ होकर ब्रह्ममय हो जाते हैं। यही परमात्मा की प्राप्ति यानि भगवत्-प्राप्ति है। भगवान कोई ऊपर आकाश से उतर कर आने वाली चीज नहीं है। वे हमारे से पृथक नहीं हैं। अपनी चेतना का ब्रह्ममय हो जाना ही आत्म-साक्षात्कार और भगवान की प्राप्ति है।
पूरी सृष्टि मेरे साथ एक होकर भगवान की ही उपासना कर रही है ---
हम जब दूसरों में भगवान को ढूँढते हैं, तो धोखा ही धोखा खाते हैं ---
हम जब दूसरों में भगवान को ढूँढते हैं, तो धोखा ही धोखा खाते हैं। दूसरों के पीछे पीछे भागना स्वयं को धोखा देना है। भगवान की सत्ता कहीं बाहर नहीं, स्वयं की कूटस्थ चेतना में ही है। स्वयं की चेतना का विस्तार करेंगे तो हम पायेंगे कि हमारे से अन्य कुछ भी और कोई भी नहीं है। किसी अन्य का साथ नहीं, भगवान का ही साथ ढूँढो। वर्तमान विश्व में बाहर धोखा ही धोखा है। सब से बड़ा धोखा भगवान के नाम से है।
विश्व की वर्तमान सभ्यता कभी भी नष्ट की जा सकती है ---
25 नवंबर 2024