संविधान के बारे में मैं अपनी कुछ शंकाएँ दूर करना चाहता हूँ|
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(१) भारत का संविधान हिन्दू द्रोही क्यों है? हिन्दुओं को समानता का अधिकार क्यों नहीं देता? समान नागरिक संहिता क्यों नहीं है? हिन्दू क़ानून अलग से क्यों हैं? अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक की अवधारणा क्यों है? अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक को भारत का संविधान कैसे परिभाषित करता है? जो तथाकथित अल्पसंख्यक हैं, उनको तो अपने धर्म को पढ़ाने की छूट है पर हिन्दुओं को क्यों नहीं? हिन्दुओं के मंदिरों पर सरकार का अधिकार क्यों है? क्या एक भी मस्जिद या चर्च पर सरकार का अधिकार है? हिन्दू मंदिरों की सरकारी लूट क्यों? मंदिरों का धन धर्म-प्रचार के लिए है, न कि सरकारी लूट के लिए|
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(२) भारत का संविधान जातिवाद को क्यों बढ़ावा देता है? संविधान ने चार-पांच स्थायी जातियाँ बना दी हैं जैसे SC, ST, OBC, SBC आदि आदि आदि| हर सरकारी पन्ने पर जाति का उल्लेख क्यों होता है? अगर सरकारी दस्तावेजों में जाति का उल्लेख प्रतिबंधित हो जाता तो जातिवाद अब तक समाप्त हो जाता| जाति के आधार पर आरक्षण क्यों है?
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(३) क्या आपने संविधान की धारा 147 (आर्टिकल 147) का अध्ययन किया है? कृपा कर के उसका सार बता दीजिये| मैंने तो मेरा पूरा दिमाग खपा दिया, पर कुछ भी समझ में नहीं आया| मेरे एक मित्र ने जो बड़े विद्वान् हैं, और एक सेवानिवृत वरिष्ठ IAS अधिकारी भी हैं, ने भी अपना पूरा दिमाग लगा दिया पर कुछ भी समझ में नहीं आया| उसकी भाषा आपके जैसा कोई विशेषज्ञ ही समझ सकता है| क्या संविधान की इस धारा के अंतर्गत हम अभी भी अंग्रेजों के गुलाम हैं? क्या भारत सरकार ब्रिटिश पार्लियामेन्ट और ब्रिटेन की रानी द्वारा दिए गए आदेश को मानने के लिये बाध्य है? क्या ब्रिटेन की रानी आज भी कानुनी तौर पर भारत की रानी है? क्यों वो अपनी मर्जी से और बिना पासपोर्ट के भारत आ सकती है? हम अभी भी कॉमनवेल्थ में क्यों है? क्या संविधान का आर्टिकल 147 कहता है कि यदि ब्रिटिश पार्लियामेंट कोई रेसोल्युशन पास कर दे तो वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के लिए मान्य होगा? यदि ब्रिटेन का पार्लियामेंट भारत की सत्ता वापस अपने हाथ लेने का कानून पास कर दे तो क्या वह पूर्णतया कानूनी होगा और भारत सरकार को कानूनी तौर पर इसे मानना ही होगा?
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(४) भारत का संविधान क्या इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट १९३५ की नकल ही तो नहीं है? भारत का संविधान यदि भारत का धर्म-ग्रन्थ है तो उसकी भाषा इतनी घोर क्लिष्ट क्यों है जिसे बहुत अच्छे पढ़े-लिखे लोग भी नहीं समझ सकते? सारे राजनेता कहते हैं कि भारत का संविधान डा.बाबा साहेब भीमराव रामजी अम्बेडकर ने लिखा है| उन लोगों ने या तो डा.आंबेडकर का साहित्य नहीं पढ़ा है, या संविधान नहीं पढ़ा है, या दोनों ही नहीं पढ़े हैं| डा.आंबेडकर के साहित्य की भाषा बहुत सरल और स्पष्ट है| संविधान उनकी भाषा लगता ही नहीं है| उन्होंने इसे compile किया था या लिखा था? ऐसी बहुत सारी धाराएं हैं और उनके बहुत सारे क्लॉज़ हैं जो कोई समझ ही नहीं सकता|
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मेरे विचार से भारत के संविधान की दुबारा समीक्षा होनी चाहिए| क्या इसे भारत की लोकसभा और राज्यसभा ने पास किया था? भारत के कितने सांसद इस संविधान को समझते हैं? और भी बहुत सारे प्रश्न होंगे| अभी तो इतने ही बहुत हैं|
साभार धन्यवाद ! सप्रेम सादर नमन और राम राम !
१२ जून २०१८
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(१) भारत का संविधान हिन्दू द्रोही क्यों है? हिन्दुओं को समानता का अधिकार क्यों नहीं देता? समान नागरिक संहिता क्यों नहीं है? हिन्दू क़ानून अलग से क्यों हैं? अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक की अवधारणा क्यों है? अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक को भारत का संविधान कैसे परिभाषित करता है? जो तथाकथित अल्पसंख्यक हैं, उनको तो अपने धर्म को पढ़ाने की छूट है पर हिन्दुओं को क्यों नहीं? हिन्दुओं के मंदिरों पर सरकार का अधिकार क्यों है? क्या एक भी मस्जिद या चर्च पर सरकार का अधिकार है? हिन्दू मंदिरों की सरकारी लूट क्यों? मंदिरों का धन धर्म-प्रचार के लिए है, न कि सरकारी लूट के लिए|
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(२) भारत का संविधान जातिवाद को क्यों बढ़ावा देता है? संविधान ने चार-पांच स्थायी जातियाँ बना दी हैं जैसे SC, ST, OBC, SBC आदि आदि आदि| हर सरकारी पन्ने पर जाति का उल्लेख क्यों होता है? अगर सरकारी दस्तावेजों में जाति का उल्लेख प्रतिबंधित हो जाता तो जातिवाद अब तक समाप्त हो जाता| जाति के आधार पर आरक्षण क्यों है?
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(३) क्या आपने संविधान की धारा 147 (आर्टिकल 147) का अध्ययन किया है? कृपा कर के उसका सार बता दीजिये| मैंने तो मेरा पूरा दिमाग खपा दिया, पर कुछ भी समझ में नहीं आया| मेरे एक मित्र ने जो बड़े विद्वान् हैं, और एक सेवानिवृत वरिष्ठ IAS अधिकारी भी हैं, ने भी अपना पूरा दिमाग लगा दिया पर कुछ भी समझ में नहीं आया| उसकी भाषा आपके जैसा कोई विशेषज्ञ ही समझ सकता है| क्या संविधान की इस धारा के अंतर्गत हम अभी भी अंग्रेजों के गुलाम हैं? क्या भारत सरकार ब्रिटिश पार्लियामेन्ट और ब्रिटेन की रानी द्वारा दिए गए आदेश को मानने के लिये बाध्य है? क्या ब्रिटेन की रानी आज भी कानुनी तौर पर भारत की रानी है? क्यों वो अपनी मर्जी से और बिना पासपोर्ट के भारत आ सकती है? हम अभी भी कॉमनवेल्थ में क्यों है? क्या संविधान का आर्टिकल 147 कहता है कि यदि ब्रिटिश पार्लियामेंट कोई रेसोल्युशन पास कर दे तो वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के लिए मान्य होगा? यदि ब्रिटेन का पार्लियामेंट भारत की सत्ता वापस अपने हाथ लेने का कानून पास कर दे तो क्या वह पूर्णतया कानूनी होगा और भारत सरकार को कानूनी तौर पर इसे मानना ही होगा?
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(४) भारत का संविधान क्या इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट १९३५ की नकल ही तो नहीं है? भारत का संविधान यदि भारत का धर्म-ग्रन्थ है तो उसकी भाषा इतनी घोर क्लिष्ट क्यों है जिसे बहुत अच्छे पढ़े-लिखे लोग भी नहीं समझ सकते? सारे राजनेता कहते हैं कि भारत का संविधान डा.बाबा साहेब भीमराव रामजी अम्बेडकर ने लिखा है| उन लोगों ने या तो डा.आंबेडकर का साहित्य नहीं पढ़ा है, या संविधान नहीं पढ़ा है, या दोनों ही नहीं पढ़े हैं| डा.आंबेडकर के साहित्य की भाषा बहुत सरल और स्पष्ट है| संविधान उनकी भाषा लगता ही नहीं है| उन्होंने इसे compile किया था या लिखा था? ऐसी बहुत सारी धाराएं हैं और उनके बहुत सारे क्लॉज़ हैं जो कोई समझ ही नहीं सकता|
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मेरे विचार से भारत के संविधान की दुबारा समीक्षा होनी चाहिए| क्या इसे भारत की लोकसभा और राज्यसभा ने पास किया था? भारत के कितने सांसद इस संविधान को समझते हैं? और भी बहुत सारे प्रश्न होंगे| अभी तो इतने ही बहुत हैं|
साभार धन्यवाद ! सप्रेम सादर नमन और राम राम !
१२ जून २०१८
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