Tuesday, 17 January 2017

शरणागत की भगवान रक्षा करते हैं .....
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जिस समय कौरव और पाण्डवोंके सामने भरी सभामें दुःशासनने द्रौपदीके वस्त्र और बालोंको पकडकर खींचा, उस समय जिसका कोई दूसरा नाथ नहीं ऐसी द्रौपदीने रोकर पुकारा –
‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !'
श्रीकृष्ण विष्णो मधुकैटभारे भक्तानुकम्पिन् भगवन् मुरारे|
त्रायस्व माम् केशव लोकनाथ गोविंद दामोदर माधवेति||
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प्रभु को शरणागति द्वारा पूर्ण समर्पण ही हमारे जीवन का एकमात्र ध्येय है| माया की प्रबल शक्तियाँ जो आवरण और विक्षेप के रूप में प्रकट होती हैं इतनी प्रबल हैं कि बिना हरिकृपा के उनको पार नहीं कर सकते| उनकी कृपा भी तभी होती है जब हम उनको प्रेम करते हैं|
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प्रभु भक्ति का आनंद असीमित, अथाह और नित्य नवीन है| भगवान स्वयम् ही अपने भक्तों की रक्षा करते हैं| 


ॐ ॐ ॐ || ॐ नमो भगवते वासुदेवाय || ॐ नमः पार्वतीपतये हर हर महादेव ||

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