Tuesday, 17 January 2017

माता-पिता प्रथम देवी-देवता हैं .....

माता-पिता प्रथम देवी-देवता हैं .....
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जब तक इस देह रुपी वाहन में चेतना है तब तक माता-पिता मेरे ही नहीं सभी के प्रथम देवी-देवता हैं| वे साक्षात् महादेव व भगवती हैं| सर्वप्रथम प्रणाम उन्हीं को किया जाना चाहिए|
प्रातःकाल उठते ही सर्वप्रथम प्रणाम अपने दिवंगत माता-पिता को करता हूँ|
पिता को प्रणाम "ॐ ऐं" मन्त्र से और माता को प्रणाम "ॐ ह्रीं" मन्त्र से करता हूँ| दोनों को ऐक साथ प्रणाम "ॐ ऐं ह्रीं " इस मन्त्र से करना चाहिए| इससे प्रणाम तुरंत स्वीकार होता है और पितृगण भी प्रसन्न होते हैं|
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और भी सूक्ष्म रूप में भगवान शिव हमारे पिता हैं और माँ उमा भगवती हमारी माता हैं|
भगवान श्रीकृष्ण सब मित्रों के मित्र हमारे परम सखा हैं|
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और भी सूक्ष्मतर रूप में ॐकार रूप में साकार परमात्मा हमारे सर्वस्व हैं| जो ॐकार की परिकल्पना नहीं कर सकते उनके लिए "राम" ही सर्वस्व हैं|
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सूक्ष्मतम रूप में परमात्मा के प्रति अहैतुकी परम प्रेम और उससे प्राप्त आनंद ही परब्रह्म है| वही परमात्मा का निराकार रूप है|
निराकार में प्रवेश साकार के माध्यम से ही होता है| बिना साकार के कोई निराकार की अनुभूति नहीं कर सकता|
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प्रभु प्रेम में हम पाते हैं कि वास्तव में भगवान ही हमें प्रेम कर रहे हैं| हमारे में इतनी क्षमता ही कहाँ हैं कि हम उन्हें प्रेम कर सकें|
उनका प्रेम सिन्धु इतना विराट है की हमारी हिमालय सी भूलें भी उसमें मामूली से कंकर पत्थर से अधिक नहीं लगती हैं जो वहाँ भी शोभा दे रही हैं|
वे अनंत प्रेम हैं जो हमें भी प्रेममय बना रहे हैं| उस प्रेम से बड़ी कोई उपलब्धी नहीं है|
इस से आगे कहने को भी कुछ नहीं है| सब कुछ यहीं समाप्त हो जाता है| 


ॐ ॐ ॐ ||

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