Friday, 14 February 2025

यदि हम बीते हुए कल की अपेक्षा आज अधिक आनंदमय हैं तो निश्चित रूप से आध्यात्मिक प्रगति कर रहे हैं, अन्यथा नहीं ---

यदि हम बीते हुए कल की अपेक्षा आज अधिक आनंदमय हैं तो निश्चित रूप से आध्यात्मिक प्रगति कर रहे हैं, अन्यथा नहीं कर रहे हैं। आध्यात्मिक प्रगति का एकमात्र मापदंड यही है।

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ब्रह्मज्ञान ही सच्चा प्रकाश है, और ब्रह्मज्ञान में लीन होकर रहना ही श्रेष्ठ तीर्थ है। परमशिव ही हमारे एकमात्र संबंधी हैं, उनमें तन्मय हो जाना ही आनन्द का साधन है।
परमात्मा का स्मरण कभी न छूटे, चाहे यह देह इसी समय छूट कर यहीं भस्म हो जाये। परमात्मा के प्रति अहैतुकी (Unconditional) परम प्रेम का उदय, मनुष्य जीवन की महानतम उपलब्धी है।
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आने वाले कल के सूर्योदय की तरह अज्ञान के अंधकार पर हमारी विजय सुनिश्चित है। इसमें कोई संदेह नहीं है। हम दुर्बल नहीं हैं। हमें अपने आप में, अपने कार्य पर, और ईश्वर पर विश्वास है। जीवन में सर्वप्रथम भगवान को प्राप्त करो फिर उनकी चेतना में अन्य सारे कर्म करो। भगवान को प्राप्त करने का अधिकारी सिर्फ भगवान का भक्त है, जिसने भगवान में अपने सारे भावों का अर्पण कर दिया है।
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जिसने भगवान को प्राप्त कर लिया है, वह व्यक्ति इस पृथ्वी पर चलता-फिरता देवता है। यह पृथ्वी भी ऐसे व्यक्ति को पाकर सनाथ व धन्य हो जाती है। जहाँ भी उसके चरण पड़ते हैं वह स्थान पवित्र हो जाता है। वह स्थान, परिवार व कुल -- धन्य है जहाँ ऐसी पवित्र आत्मा जन्म लेती हैं।
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ॐ तत्सत्
कृपा शंकर
१५ फरवरी २०२३

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