हमारे सब अभावों/दुःखों/कष्टों/पीड़ाओं का एकमात्र कारण हमारी आध्यात्मिक दरिद्रता है, कोई अन्य कारण नहीं।
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हर समय परमात्मा का स्मरण करते हुए, पूर्ण सत्यनिष्ठा से परमात्मा की उपासना नित्य कम से कम २+२ = ४ घंटे की जाये, तब संतुष्टि मिलती है। सप्ताह में कम से कम एक दिन तो ८ घंटे का समय परमामा की साधना में व्यतीत किया जाना चाहिये। केवल बातों से, पुस्तकें पढ़ने, या प्रवचन/उपदेश सुनने से काम नहीं बनेगा। परमात्मा के ऊर्ध्वस्थ महासागर में गहरी डुबकी लगा कर स्वयं को विलीन (समर्पित) करना पड़ेगा।
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जब मन में लगन और पीड़ा होगी तब भगवान स्वयं आगे का मार्ग दिखायेंगे। आप सब महान आत्माओं / महापुरुषों को नमन !!
ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
१४ फरवरी २०२५
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