Friday, 7 February 2025

भगवान स्वयं ही उनके रूप में आए थे ---

भगवान स्वयं ही उनके रूप में आए थे ---

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मुझे मेरे प्रियजनों के निधन व उन से वियोग की कभी-कभी बड़ी पीड़ा हो जाया करती थी| भगवान की कृपा से एक दिन मुझे अनुभूति हुई कि भगवान स्वयं ही उनके रूप में मेरे समक्ष आए थे|
मेरे माता-पिता, बड़े भाई, सभी संबंधी, मित्र/शत्रु सब भगवान की ही लीला के रूप थे| जब भगवान सदा मेरे साथ हैं तो भगवान में वे भी सदा मेरे साथ ही हैं|
पृथकता का बोध एक भ्रम है| सारी सृष्टि भगवान की चेतना से चैतन्य है| उनके सिवाय अन्य कुछ या कोई भी नहीं है|
भगवान से पृथकता का बोध ही हमारे सब दुःखों/कष्टों का कारण है| स्वयं भगवान ही इन आँखों से देख रहे हैं, और इस ह्रदय से सभी को अपना प्रेम दे रहे हैं| मैं नहीं हूँ, मेरा कोई पृथक अस्तित्व नहीं है|
ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
७ फरवरी २०२१

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