(प्रश्न) : राष्ट्रसेवा/देशसेवा/समाजसेवा किसे कहते हैं?
(उत्तर) : ---
(१) लौकिक दृष्टि से अपने कर्तव्य-कर्म को यानि हर अच्छे कार्य को पूर्ण सत्यनिष्ठा से सम्पन्न करना ही राष्ट्र, देश, व समाज की सेवा है।
(२) धार्मिक दृष्टि से हमारे जिस कार्य से तमोगुण का ह्रास हो, व सतोगुण में वृद्धि हो, वह सबसे बड़ी सेवा है जो हम राष्ट्र, देश व समाज के लिए कर सकते हैं।
(३) आध्यात्मिक दृष्टि से आत्म-साक्षात्कार (Self-Realization) यानि भगवत्-प्राप्ति ही समष्टि की सबसे बड़ी सेवा है। समष्टि में राष्ट्र, देश व समाज ही नहीं, सम्पूर्ण सृष्टि आ जाती है।
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ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
७ फरवरी २०२५
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