Tuesday, 28 January 2025

इस समय जिस तरह से हमारी अस्मिता (हिंदुत्व) पर प्रहार हो रहा है, मुझे लगता है मुझे कुछ ऐतिहासिक तथ्यों को भी उजागर करना ही होगा ---

 इस समय जिस तरह से हमारी अस्मिता (हिंदुत्व) पर प्रहार हो रहा है, मुझे लगता है मुझे कुछ ऐतिहासिक तथ्यों को भी उजागर करना ही होगा|

करणी सेना के विरुद्ध यदि सरकार करवाई करती है तो सभी हिन्दुओं को एकजूट होना होगा| यह सभी हिन्दुओं के स्वाभिमान की बात है|
क्या भंसाली ने ये तथ्य भी फिल्माये हैं?..
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(1) अल्लाउद्दीन खिलजी अपने चाचा जलालुद्दीन खिलजी को मारकर गद्दी पर बैठा था| उसने अपने चाचा के सर को काटकर अपने महल के दरवाजे पर टंगवा दिया था ताकि लोग आतंकित हों|
(2) उसने अपने पुरुष प्रेमी मलिक कफूर को हिंजड़ा घोषित कर के अपना सेनापति भी बना दिया था| वास्तव में अल्लाउद्दीन खिलजी का ही प्रेमी मलिक कफूर था| वह वास्तव में हिंजड़ा नहीं था| अल्लाउद्दीन को पुरुषों से प्रेम करवाने का बहुत शौक था| उसने अपने हरम में हज़ारों निरीह हिन्दू महिलाओं के साथ साथ अनेक निरीह सुन्दर लड़के भी रखे हुए थे जिनका यौन शोषण करने के बाद उनको बलात् हिजड़ा बना दिया जाता था|
(3) अल्लाउद्दीन के बाद उसका बेटा जब गद्दी पर बैठा तब वह लड़कियों के ही कपड़े पहिनता था, लड़कियों की ही तरह दरबार में नाचता था| उसने अपनी हीन भावना को छिपाने के लिए हरम में एक हज़ार से ऊपर निरीह मजबूर हिन्दू स्त्रियों को रखा हुआ था| कुछ राजपूतो ने उसका वध करने के लिए उसका विश्वास प्राप्त किया और उसको एक दिन अकेले में घेर लिया| वह भागकर अपने हरम की एक हज़ार औरतों में छिप गया| पर राजपूतों ने उसको ढूँढ ही लिया और उसका वध कर दिया| इससे पहिले उन्होंने मलिक कफूर को भी ऐसे ही अकेले में ढूँढ कर मार दिया था|
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(4) अल्लाउद्दीन के समय लाखों हिन्दुओं की हत्याएं और नरसंहार हुआ था| लाखों हिन्दू भारत छोड़कर दक्षिण-पूर्वी एशिया में शरणार्थी होकर चले गए थे|
सारे हिन्दू शासक बिखरे हुए थे, उनमें एकता नहीं थी| अल्लाउद्दीन ने एक एक कर के उत्तरी भारत के प्रायः सभी राजाओं को हरा दिया था| जैसलमेर के किले में उस के सेनापती मलिक कफूर को बंदी भी बना लिया गया था पर वह अपनी धूर्तता से छूट गया|
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(5) रणथम्बोर के किले की दो वर्ष तक अल्लाउद्दीन ने घेरेबंदी कर के रखी थी| वहाँ के हिन्दू राजा हमीर चौहान ने कभी पराजय नहीं मानी| जब किले में खाद्य सामग्री समाप्त हो गयी तब वहाँ की मातृशक्ति ने जौहर की तैयारी कर ली और राजपुरोहित को छोड़कर सभी पुरुष अंतिम युद्ध के लिए अल्लाउद्दीन की फौज पर टूट पड़े| राजा हमीर उस युद्ध में पराजित नहीं हुए थे जैसे की पढ़ाया जाता है| अल्लाउद्दीन पराजित होकर भाग गया था| शाम का समय था| राजा हमीर के बचे हुए सैनिक बापस किले में लौट रहे थे| कुछ सैनिकों ने भूलवश अल्लाउद्दीन की फौज के झंडे अपने हाथों में ले रखे थे| ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था| ऊपर से रानियों ने अल्लाउद्दीन की फौज के झंडे देखकर सोचा कि राजा हमीर पराजित हो गए हैं और आतताई फौज आ रही है| किले की हज़ारों महिलाऐं अपने बच्चों के साथ किले की जौहर बावड़ी की जलती हुई प्रचंड अग्नि में कूद पडीं और स्वयं को भस्म कर लिया| राजा हमीर ने जब देखा कि पूरी मातृशक्ति नहीं रही है तब उसने भी अपने इष्ट देव भगवान शिव के मन्दिर में जाकर अपना भी सर काटकर अपने इष्टदेव को चढ़ा दिया| २९ जनवरी २०१७

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