भारत में केवल महान पुण्यात्माओं का ही जन्म और निवास हो ---
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हमारे ग्रंथों के अध्ययन से एक बात स्पष्ट होती है कि द्वापर युग तक भारतवर्ष में ऐसी अनेक महान आत्माएँ थीं जो सूक्ष्म जगत के अन्य लोकों में सशरीर जाकर बापस भी आ सकती थीं। देव लोकों से देवता भी पृथ्वी पर आकर लोगों को दर्शन देते थे। सूक्ष्म जगत में कई लोकों के ऐसे भी प्राणी हैं जो पृथ्वी के मनुष्यों से बहुत अधिक उन्नत क्षमतावान, महान और धर्मनिष्ठ हैं। सूक्ष्म जगत से परे कारण जगत के भी अन्य अनेक अधिक विकसित लोक हैं, जहाँ उन्हीं का जन्म होता है जो पूर्वजन्म में निर्विकल्प समाधि में प्रवेश कर चुके हों।
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सूक्ष्म और कारण जगत की असंख्य महान देवात्माएँ भारत में अवतरित हों, और इस राष्ट्र का कल्याण करें। वे मनुष्य देह में जन्म लें या अपनी सूक्ष्म देह में रहते हुए ही जीवित मनुष्यों के माध्यम से कार्य करें। भारत को ऐसी अनेक महान आत्माओं की आवश्यकता है।
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भारत को असत्य और अंधकार की तमोगुणी आत्माओं यानि कचरा मनुष्यता से मुक्ति मिले। भारत में किसी भी तमोगुणी तामसी आत्मा का जन्म न हो, केवल महान आत्माओं का ही जन्म हो। भारत में कोई दुष्ट दुराचारी न हो, सनातन धर्म की पुनर्स्थापना हो, व भारत एक अखंड आध्यात्मिक राष्ट्र बने। सत्य-सनातन-धर्म यहाँ की राजनीति हो। महाराजा पृथु जैसे सत्यधर्मनिष्ठ क्षत्रिय राजाओं का ही राज्य भारत में हो। भारत में महाराजा पृथु जैसे महान चक्रवर्ती सम्राट भी हुए हैं जिनके कारण इस ग्रह का नाम पृथ्वी है।
ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !! ॐ शांति शांति शांति !!
कृपा शंकर
२० मई २०२२
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