Saturday 28 May 2022

सत्य सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण का समय आ रहा है ---

मेरा अंतिम घोष है --- "सत्य सनातन धर्म की जय हो। असत्य और अंधकार की शक्तियाँ पराभूत हों।"

सत्य सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण का समय आ रहा है। लाखों महान पराक्रमी पुण्यात्माओं का भारत में प्राकट्य होगा, भगवान भी इस धरा पर साकार रूप में अवतृत होंगे।
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जहां तक मेरा प्रश्न है, मेरा सम्पूर्ण अस्तित्व, सारे पाप-पुण्य, सारे अच्छे-बुरे कर्मफल, और सब कुछ --"श्रीकृष्ण समर्पण"। कुछ भी उनसे पृथक नहीं है, सब कुछ उन्हें समर्पित है। वे ही सम्पूर्ण अस्तित्व हैं। यह पृथकता का बोध एक अज्ञान था।
"वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्कः प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च।
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते॥११:३९॥
नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व।
अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वं सर्वं समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः॥११:४०॥" (श्रीमद्भगवद्गीता)
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पुनश्च: ---
(१) गुरु महाराज का आदेश है कि परमात्मा का अधिक से अधिक ध्यान करो, और अपनी सारी समस्याओं के समाधान के लिए गहरे से गहरे ध्यान में परमात्मा की सहायता लो। कितनी भी असहनीय चुनौतियों का पहाड़ खुद पर टूट पड़े, तब भी साहस और सूझबूझ को न खोओ। ईश्वर पर आस्था रखो, कोई न कोई मार्ग निश्चित रूप से निकल आयेगा।
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(२) कोई शिकायत, निंदा व आलोचना करने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है। मेरे सारे कष्ट मेरे कर्मों के फल थे, किसी अन्य का कोई दोष नहीं है।
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ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
२२ मई २०२२
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पुनश्च :--- आवश्यकता व्यावहारिक उपासना की है, बौद्धिक चर्चा की नहीं। अतः अधिकाधिक समय भगवान को दें। आध्यात्म की गूढ बातें बुद्धि द्वारा नहीं, निज अनुभूतियों द्वारा ही समझ में आती हैं। जैसे शिक्षा में क्रम होते हैं -- एक बालक चौथी में पढ़ता है, एक बालक बारहवीं में, एक बालक कॉलेज में; वैसे ही साधना के भी क्रम होते हैं। एक सामान्य व्यक्ति के लिए तो भक्तिपूर्वक धीरे-धीरे मानसिक रूप से निरंतर राम नाम का जप ही सर्वश्रेष्ठ साधना है।
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सनातन-धर्म ही भारत राष्ट्र का सत्व, मर्म, मूलाधार और प्राण है। सनातन-धर्म के बिना भारत का कोई अस्तित्व नहीं है। सनातन-धर्म ही इस सम्पूर्ण सृष्टि का भविष्य है। सनातन-धर्म की निश्चित रूप से पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण होगा।
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हम सब जो भी आध्यात्मिक साधना करते हैं, उस से सनातन-धर्म की रक्षा होती है। जीवन की सत्य, सनातन और सर्वोत्कृष्ट अभिव्यक्ति धर्म है, और यह सनातन-धर्म ही हमारी रक्षा करेगा। हमें भी उसकी रक्षा करनी होगी।
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हम सनातन काल से ही सदा वीर, तेजस्वी और पराक्रमी रहे हैं। हमारा लक्ष्य - परमात्मा है। सनातन-धर्म की रक्षा हेतु भारत को एक हिन्दू-राष्ट्र बनाना अपरिहार्य है।
ॐ तत्सत् !! जय हिन्दू राष्ट्र !! 🙏🌹🕉🕉🕉🌹🙏
कृपा शंकर
११ मई २०२२

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