रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ती का एकमात्र सम्मानपूर्ण उपाय ---
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इस युद्ध की तुरंत समाप्ति का एकमात्र उपाय है -- सन २०१० से २०१४ तक यूक्रेन के लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे विक्टर फेदोरोविच यानुकोवुच को दुबारा राष्ट्रपति बनाकर उनके राजनीतिक दल पर लगा प्रतिबंध हटा दिया जाये। उसके बाद स्थिति सामान्य होते ही चुनाव कराये जाएँ। ये यूक्रेन के चौथे राष्ट्रपति थे, जिन्हें अमेरिका और इंग्लैंड ने एक षडयंत्र द्वारा हटवाया, और झेलेंस्की नाम के एक विदूषक को राष्ट्रपति बनवाया।
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विक्टर फेदोरोविच यानुकोवुच ने इस समय रूस में राजनीतिक शरण ले रखी है। अमेरिका और इंग्लैंड ने उनकी हत्या का प्रयास भी अनेक बार किया है। रूस को यह युद्ध छेड़ने को तब बाध्य किया गया जब अमेरिका व इंग्लैंड द्वारा प्रशिक्षित यूक्रेन की नात्सी अजोव बटालियन ने यूक्रेन के रूसी भाषी नागरिकों का नर-संहार आरंभ कर दिया। छोटे छोटे माँ का दूध पीते रूसी बच्चों की भी हत्या की गई। क्रीमिया में अधिकाधिक ६% यूक्रेनी थे, बाकी रूसीभाषी थे। सोवियत संघ के राष्ट्रपति जब ख्रुश्चेव थे, जो स्वयं एक यूक्रेनियन थे, ने क्रीमीया यूक्रेन को दे दिया था। दोनेत्स्क और लुजांस्क भी यूक्रेन के रूसी भाषी क्षेत्र थे, जिन पर क्रीमीया सहित अब रूस ने बापस अपना अधिकार कर लिया है। सोवियत संघ के विखंडन तक कोई समस्या नहीं थी। एक षडयंत्र के अंतर्गत अमेरिका व इंग्लैंड द्वारा तुर्की के माध्यम से यूक्रेन में बहुत अधिक कोकीन लगातार भेजा गया, और यूक्रेन के लोगों को नशे का आदि बनाया गया। इस षडयंत्र का उद्देश्य था यूक्रेन के माध्यम से रूस को नष्ट कर वहाँ की भूमि का दोहन करना। यूक्रेन में अनेक जैविक प्रयोगशालाएँ खोली गईं जहाँ ऐसे जैविक अस्त्र बनाने का प्रयोग चल रहा था, जिनसे रूस में अनेक तरह की बीमारियाँ फैला कर रूस को नष्ट किया जा सके। रूस ने वे प्रयोगशालाएँ अब तो नष्ट कर दी हैं। अमेरिका की जनता को पता नहीं चले इसलिए रूस के समाचार माध्यमों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। भारत की समाचार चैनलें बिक चुकी हैं और अमेरिका प्रायोजित समाचार दे रही हैं।
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इस विषय की पूरी पृष्ठभूमि मैं अपने पिछले लेखों में लिख चुका हूँ। एक बात को बार-बार लिखने का धैर्य और ऊर्जा मुझमें नहीं है।
कृपा शंकर
२४ मई २०२२
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पुनश्च :-- क्रीमीया का नाम एक तुर्क तातार मुसलमान करीम के नाम पर पड़ा था। उसने यहाँ के स्थानीय लोगों की हत्या करने के उपरांत तातारों को यहाँ बसा दिया था। यह क्षेत्र सल्तनत-ए-उस्मानिया (Ottoman Empire) का भाग था, जिससे छीन कर रूस ने इस पर अपना अधिकार कर लिया था। इस पर इंग्लैंड और फ़्रांस ने मिलकर रूस से युद्ध भी किया था (क्रीमीया वार) जिसमें उनको कोई सफलता नहीं मिली। द्वितीय विश्व युद्ध में आक्रमणकारी जर्मन सेना का स्वागत तातार मुसलमानों ने किया था जिस से नाराज होकर स्टालिन ने तातार मुसलमानों को वहाँ से हटाकर रूस की मुख्य भूमि में बसा दिया और उनको 'तातारिस्तान' नाम का एक गणराज्य भी बना कर दे दिया। क्रीमीया में अब लगभग पूरी जनसंख्या रूसी भाषियों की है।
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सोवियत संघ का तानाशाह स्टालिन स्वयं भी रूसी नहीं था। वह जॉर्जिया का था, जो उस समय सोवियत संघ का भाग था।
२४ मई २०२२
कोरिया, विएतनाम, इराक और पूर्व-युगोस्लाविया ने अब तक के इतिहास में क्या कभी अमेरिका पर आक्रमण किया था?
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अमेरिका ने अकारण ही इन देशों पर आक्रमण कर वहाँ के करोड़ों निरपराध लोगों की हत्याएँ क्यों की? आज भी अपने शस्त्रास्त्रों की बिक्री हेतु अमेरिका विश्व में हर वर्ष करोड़ों निरपराधों की हत्या करवा रहा है।
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प्रकृति किसी को क्षमा नहीं करती। कर्मों के फल सब को मिल कर ही रहेंगे।