सूत्रधार को नमन ! --- (संशोधित व पुनर्प्रेषित)
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दोनों आँखों के मध्य में एक भ्रामरी गुफा है जिसमें सारे आध्यात्मिक रहस्य छिपे हैं। इसके प्रवेश द्वार पर आवरण और विक्षेप नाम की दो अति सुंदर, आकर्षक, मोहिनी, महाठगिनी प्रहरिनें बैठी हैं, जो किसी को भी भीतर प्रवेश नहीं करने देतीं। कैसे भी इन ठगिनियों से बचकर इस गुफा में प्रवेश करना है। एक बार प्रवेश कर लिया तो पीछे मुड़कर मत देखना, अन्यथा ये अपने रूपजाल में फंसाकर बापस बुला लेंगी। इसमें आगे बढ़ते रहोगे तो सारे रहस्य अनावृत हो जाएँगे।
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गीता में भगवान कहते हैं ---
"दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया।
मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते॥७:१४॥"
"न मां दुष्कृतिनो मूढाः प्रपद्यन्ते नराधमाः।
माययापहृतज्ञाना आसुरं भावमाश्रिताः॥७:१५॥"
"चतुर्विधा भजन्ते मां जनाः सुकृतिनोऽर्जुन।
आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ॥७:१६॥"
"तेषां ज्ञानी नित्ययुक्त एकभक्ितर्विशिष्यते।
प्रियो हि ज्ञानिनोऽत्यर्थमहं स च मम प्रियः॥७:१७॥"
"उदाराः सर्व एवैते ज्ञानी त्वात्मैव मे मतम्।
आस्थितः स हि युक्तात्मा मामेवानुत्तमां गतिम्॥७:१८॥"
"बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते।
वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः॥७:१९॥"
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इससे पहिले भगवान कह चुके है --
"असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलं।
अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते॥६:३५॥"
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(भ्रामरी गुफा में प्रवेश और इसके रहस्य की समझ भगवान की कृपा से ही होती है)
ॐ तत्सत् !!
६ अक्तूबर २०२१
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