आज के जमाने में हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष कौन हैं?---
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हर अनुचित तरीके से अपार धन (हिरण्य) एकत्र करने, उसी में लोटपोट रहने, व उसी का निरंतर चिंतन करने वाले लोभी और अहंकारी व्यक्ति ही आज के जमाने के हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष हैं| इनका नाश स्वयं भगवान करते हैं|
"जाको प्रभु दारुण दुख देही, ताकी मति पहले हर लेही|"
"जाको विधि पूरन सुख देहीं, ताकी मति निर्मल कर देहि|"
दूसरों का अधिकार छीन कर उनके भाग को हड़पने वाले, जीवन में लालची और लोभी, जिनका एकमात्र लक्ष्य ही रुपये-पैसे बनाना हो, ऐसे लोग भगवान की बड़ी-बड़ी बातें करेंगे लेकिन अपने एक रुपये के लाभ के लिए दूसरों का लाखों का नुकसान कर देंगे, ये आज के युग के हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष हैं| ऐसे लोगों से विष की तरह दूर रहें|
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हिरण्यकशिपु का शाब्दिक अर्थ होता है ... स्वर्ण का बिस्तर| जो हर समय सिर्फ धन एकत्र करने व उसी में रहने की कामना करता है वह हिरण्यकशिपु है|
अक्ष का अर्थ है ... पहियों की धुरी, यानि वह डंडा जिसके दोनों सिरों पर गाड़ी आदि के पहिए लगे रहते हैं| प्रचलित भाषा में इसे कमानी भी कहते हैं| जिनसे जुआ/चौसर खेलते हैं, उन काठ या हड्डी के छह पहलों वाले लम्बे टुकड़े जिनके पहलों पर बिन्दियाँ बनी होती हैं, उनको भी अक्ष कहते हैं|
पृथ्वी के दोनों ध्रुवों के बीच लेटी हुई सीधी कल्पित रेखाओं (latitude) को भी अक्ष कहते हैं|
हमारी चेतना में जब धन ही धन रहता है, तब हम हिरण्याक्ष बन जाते हैं|
कश्यप ऋषि और उनकी पत्नी दिति के दो पुत्र हुए थे ... हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष| दोनों को मारने के लिये भगवान को अवतार लेना पड़ा था|
इन राक्षसों को नष्ट करने के लिए हमें भी अपने चैतन्य हृदय में भगवान को अवतृत करना होगा|
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
९ अक्टूबर २०२०
पिछले कई सौ वर्षों से पृथ्वी पर हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष दोनों ही एक साथ राज्य कर रहे हैं। कुछ दिनों पहिले मैंने एक लेख पुनर्प्रस्तुत किया था जिसमें लिखा था कि महिषासुर और रावण दोनों ही अमर हैं और हमारे अवचेतन मन में निवास करते हैं। लेकिन ये हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष तो अनेक रूपों में अनेक व्यक्तियों में खुलेआम सर्वत्र घूम रहे हैं जिनमें से अनेकों को मैं जानता हूँ। हर अनुचित तरीके से अपार धन (हिरण्य) एकत्र करने, उसी में लोटपोट रहने, व उसी का निरंतर चिंतन करने वाले लोभी और अहंकारी व्यक्ति ही आज के जमाने के हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष हैं| दूसरों का अधिकार छीन कर उनके भाग को हड़पने वाले, जीवन में लालची और लोभी, जो अपने एक रुपये के लाभ के लिए दूसरों का लाखों का नुकसान कर देंगे, ये आज के युग के हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष हैं| ऐसे लोगों से विष की तरह दूर रहें|
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