Monday, 10 February 2025

हमारी निम्न प्रकृति में और हमारे अवचेतन मन में बहुत अधिक विकार भरे पड़े हैं, उन से मुक्त कैसे हों?

 हमारी निम्न प्रकृति में और हमारे अवचेतन मन में बहुत अधिक विकार भरे पड़े हैं, उन से मुक्त कैसे हों? उन से मुक्त हुए बिना कोई आध्यात्मिक प्रगति नहीं हो सकती| इसके लिए अनेक साधनायें हैं| इस विषय पर मेरा अनेक महात्माओं के साथ विचार-विमर्श और सत्संग हुआ है| सब ने अपने-अपने मतानुसार अपने विचार व्यक्त किए हैं| कोई भी साधक जो भी साधना करे, अपनी-अपनी गुरुपरंपरानुसार किन्हीं सिद्ध आचार्य के मार्गदर्शन में ही करें|

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हमारी देह में अज्ञान की तीन ग्रंथियाँ हैं -- ब्रह्मग्रंथि (मूलाधार चक्र), विष्णुग्रंथि (अनाहत चक्र) और रुद्रग्रन्थि (आज्ञा चक्र)| इनके भेदन के बिना अज्ञान को नष्ट नहीं किया जा सकता| इसके लिए अनेक उपाय स्वनामधान्य आचार्यों ने बताए हैं, जैसे ---
(१) नवार्ण मंत्र का जप और महासरस्वती, महालक्ष्मी, व महाकाली की उपासना|
(२) षड़चक्रों में द्वादशाक्षरी भागवत मंत्र का जप|
(३) आज्ञाचक्र में भगवती महाकाली के बीजमंत्र का जप|
(४) गायत्री मंत्र की साधना|
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मैं पुनश्च: यह कहना चाहता हूँ कि आप जो भी साधना करें वह अपनी-अपनी गुरुपरंपरानुसार किन्हीं अधिकृत सिद्ध आचार्य के मार्गदर्शन में ही करें| किसी पुस्तक, व्हाट्सएप्प, फेसबुक, ट्वीटर आदि पर पढ़कर न करें| फेसबुक पर ब्रह्मज्ञान नहीं मिल सकता| सिर्फ प्रेरणा मिल सकती है| ॐ तत्सत् !!
१० फरवरी १९२१

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