सनातन धर्म हमें बलशाली होने की शिक्षा देता है .....
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नायमात्मा बलहीनेन लभ्यः ||
बलहीन को कभी परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती|
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उस चट्टान की तरह बनो जो समुद्र की प्रचंड लहरों के आघात से भी विचलित नहीं होती|
उस परशु की तरह बनो जिस पर कोई गिरे वह भी नष्ट हो, और जिस पर भी गिरे वह भी नष्ट हो जाए|
तुम्हारे में हिरण्य यानि स्वर्ण की सी पवित्रता हो|
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सत्यं वद (सत्य बोलो) !
धर्मं चर (धर्म मेँ विचरण करो) !
स्वाध्याय प्रवचनाभ्यां न प्रमदितव्यं |
वेदाध्ययन और उसके प्रवचन प्रसार मेँ प्रमाद मत करो !
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तद्विष्णोः परमं पदम् | सदा पश्यन्ति सूरयः ||
उस विष्णु के परम पद का दर्शन सदैव सूरवीर ही करते हैँ ||
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सत्य का आलोक, असत्य और अन्धकार के बादलोँ से ढका ही दिखता है , नष्ट नहीँ होता| भगवान भुवन भास्कर जब अपने पथ पर अग्रसर होते हैं तब मार्ग में कहीं भी तिमिर का अवशेष नहीं रहता| अब समय आ गया है| असत्य, अन्धकार और अज्ञान की शक्तियों का पराभव सुनिश्चित है| अपने अंतर में उस ज्योतिर्मय ब्रह्म को आलोकित करो| सत्य विचार अमर है| सनातन वैदिक धर्म अमर है||
९ मार्च २०१९
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