Thursday 31 October 2019

भारत का स्वतन्त्रता दिवस २१ अक्तूबर को या ३० दिसंबर को क्यों नहीं मनाना चाहिए?

एक ज्वलंत प्रश्न :----- अब हमें भारत का स्वतन्त्रता दिवस २१ अक्तूबर को या ३० दिसंबर को क्यों नहीं मनाना चाहिए?
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आज से ७६ वर्ष पूर्व २१ अक्तूबर १९४३ को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी थी जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपीन्स, कोरिया, चीन, इटली, मंचूरिया और आयरलैंड ने मान्यता दे दी थी| जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप समूह इस अस्थायी सरकार को दे दिये| सुभाष बोस उन द्वीपों में गये और उनका नया नामकरण किया| अंडमान का नया नाम शहीद द्वीप तथा निकोबार का स्वराज्य द्वीप रखा गया|
३० दिसंबर १९४३ को पोर्ट ब्लेयर के जिमखाना मैदान में स्वतन्त्र भारत का ध्वज भी फहरा दिया गया था|
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इससे पहले प्रथम विश्व युद्ध के बाद अफ़ग़ानिस्तान में महान् क्रान्तिकारी राजा महेन्द्र प्रताप ने आज़ाद हिन्द सरकार और फ़ौज बनायी थी जिसमें ६००० सैनिक थे|
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द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इटली में क्रान्तिकारी सरदार अजीत सिंह ने 'आज़ाद हिन्द लश्कर' बनाई तथा 'आज़ाद हिन्द रेडियो' का संचालन किया|
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जापान में रासबिहारी बोस ने भी आज़ाद हिन्द फ़ौज बनाकर उसका जनरल कैप्टेन मोहन सिंह को बनाया था|
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इन सभी का लक्ष्य भारत को अंग्रेज़ों के चंगुल से सैन्य बल द्वारा मुक्त कराना था| पर स्वतंत्र सरकार की स्थापना नेताजी ने ही ७६ वर्ष पूर्व आज ही के दिन की थी| अतः वास्तविक स्वतंत्रता दिवस तो आज ही है|
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१५ अगस्त १९४७ तो भारत का विभाजन दिवस था| १५ अगस्त १९४७ का दिन भारत के लिए एक कलंक था क्योंकि उस दिन भारत के दो टुकड़े हुए, लाखों लोगों की हत्या हुई, लाखों महिलाओं के साथ बलात्कार हुए और करोड़ों लोग विस्थापित हुए| इस दिन लाशों से भरी हुई कई ट्रेन पाकिस्तान से आईं जिन पर खून से लिखा था .... Gift to India from Pakistan. १९७६ में छपी पुस्तक Freedom at midnight में उनके चित्र दिये दिये हुए थे| वह कलंक का दिन भारत का स्वतन्त्रता दिवस नहीं हो सकता|
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तेरा गौरव अमर रहे माँ हम दिन चार रहें न रहें| भारत माता की जय !
वन्दे मातरं ! जय हिन्द !
कृपा शंकर
२१ अक्तूबर २०१९

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