Tuesday 25 September 2018

मेरी श्रद्धा और विश्वास .....

मेरी श्रद्धा और विश्वास .....
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मैं अपने मन को नियंत्रित नहीं कर पा रहा हूँ, पर कोई चिंता मुझे नहीं है| मुझे पूर्ण श्रद्धा और विश्वास है कि मेरे इष्टदेव प्रेम की डोरी से बाँधकर इसे एक न एक दिन अपने आप ही अपने आधीन कर ही लेंगे| वे ही मेरी हर परिस्थिति में रक्षा कर रहे हैं और सदा ही करेंगे| मैं निश्चिन्त हूँ क्योंकि खोने को मेरे पास कुछ भी नहीं है, सब कुछ तो उन्हीं का है| एकमात्र बाधा यह जीवभाव है जिसका भी वे हरि एक न एक दिन हरण कर ही लेंगे| यह उनका स्वभाव है| यह जीवभाव नहीं रहेगा तो कोई राग-द्वेष और अहंकार भी नहीं रहेगा| उन हरि का चिंतन ही मेरा स्वभाव है| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२३ सितम्बर २०१८

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