Sunday 29 October 2017

एक श्वान बादशाह का शूकर-शूकरी प्रेम :-----

एक श्वान बादशाह का शूकर-शूकरी प्रेम :-----

एक श्वान बादशाह को एक पराई शादीशुदा स्त्री "मुमताज महल" पसंद आई जिसे पाने के लिए उसने उसके पति की ह्त्या करा दी, और अपनी शक्ति के जोर से उसे अपनी चौथी बीबी बना लिया| उसके बाद उसने तीन और निकाह किये यानी उसकी तीन सौतनें और ले आई गयीं| उन्नीस वर्ष के विवाहित जीवन में चौदह बच्चे उस स्त्री से पैदा किये गए| कोई मातृत्व अवकाश नहीं| वह बीबी थी या बच्चे पैदा करने की मशीन? ऐसे महान प्रेम के आगे शूकर-शूकरी भी शर्मा जाएँ| उसने अपनी इस बीबी को सदा गर्भवती ही रखा, कभी आराम नही करने दिया| जब वह चौदहवीं संतान पैदा करने वाली थी तब बादशाह उसे अपने साथ दक्खिन में लड़ाई के मैदान में ले गया, जहाँ जख्मी सिपाहियों के मरहम लगाने वाले हकीम मौजूद थे| उस लड़ाई के मैदान में अपनी चौदहवीं संतान पैदा करते समय वह अपने शौहर की हवश का शिकार हो गयी| काश उस श्वान बादशाह ने ताजमहल की जगह एक जच्चा-बच्चा घर बनाया होता| उस बदनसीब मुमताज महल के मरते ही उसकी छोटी बहिन से उसने निकाह कर लिया| इस श्वान बादशाह को उसकी अगली शैतान औलाद ने बंदीगृह में डाल दिया तो वह श्वान बादशाह अपनी हवश अपनी बेटी जहाँआरा से पूरी करता रहा क्योंकि उसकी शक्ल #मुमताजमहल से मिलती थी| बगीचे के फल पर पहला हक उसके माली का ही होता है .... यही उसने कर दिखाया| कहा जाता है कि उसने मुमताज की याद में #ताजमहल बनवाया, पर वह प्यार कहाँ था? Where the hell was love?

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