Monday 30 October 2017

एक साधे सब सब सधे, सब साधे सब खोय ....

एक साधे सब सब सधे, सब साधे सब खोय ....
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हमारे एक मित्र के बच्चे परीक्षा के दिनों में कई मंदिरों में प्रार्थना करने, आशीर्वाद प्राप्त करने, और साथ साथ एक मज़ार पर भी दुआ माँगने जाते थे| उनकी माताजी यह सफाई देती थी कि हम तो सभी धर्मों और देवी-देवताओं को मानते हैं| उनके बच्चे कहते कि किसी ना किसी देवी-देवता की तो दुआ लग ही जायेगी|
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अधिकाँश घरों में पूजा घरों में अनेक देवी-देवताओं के चित्र सजे रहते हैं ... दुर्गा जी के, हनुमान जी के, राम जी के, शिव जी के, साईं बाबा के और यहाँ तक कि जीसस क्राइस्ट के भी| सभी की विधिवत आरती और प्रार्थना भी होती है| एक-दो काली मंदिरों में तो काली जी की प्रतिमा के साथ मदर टेरेसा के चित्र की भी पूजा होते मैनें स्वयं अपनी आँखों से देखा है| और भी बहुत सारी बाते हैं|
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ऐसा सब धर्म शिक्षण के अभाव में होता है| ये सभी तो एक ही परमात्मा के विविध रूप हैं| अब क्या बताऊँ, क्या लिखूं? किसी को कुछ कहने से कोई लाभ नहीं है, अपने विरोधियों की संख्या ही बढ़ाना है|
भगवान सभी को सद् बुद्धि दे| ॐ ॐ ॐ !!


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