(१) हमारे निज जीवन में परमात्मा की पूर्ण अभिव्यक्ति हो।
Thursday, 27 February 2025
हमारे निज जीवन में परमात्मा की पूर्ण अभिव्यक्ति हो ---
Wednesday, 26 February 2025
सनातन-धर्म (हिन्दू-धर्म) ही भारत की विराट एकता का आधार है, जिसे विदेशी शक्तियाँ नष्ट कर देना चाहती हैं ---
सनातन-धर्म (हिन्दू-धर्म) ही भारत की विराट एकता का आधार है, जिसे विदेशी शक्तियाँ नष्ट कर देना चाहती हैं ---
मेरे लिए हिन्दुत्व है -- "भगवत्-प्राप्ति" ---
सत्य-सनातन-धर्म की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार (पुनःप्रतिष्ठा) और वैश्वीकरण इस समय बहुत अधिक आवश्यक है ---
सत्य-सनातन-धर्म की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार (पुनःप्रतिष्ठा) और वैश्वीकरण इस समय बहुत अधिक आवश्यक है। सबसे बड़ी आवश्यकता तो सारे हिंदुओं को तमोगुण से मुक्त करने की है। हिन्दू राजसिक व सात्विक ही हों। धर्मशिक्षा के अभाव में हिन्दू समाज में तमोगुण बहुत अधिक बढ़ गया है। यह तमोगुण ही हिंदुओं के पतन का कारण है।
सनातन धर्म जिसे हम हिन्दुत्व कहते हैं, ही इस राष्ट्र की अस्मिता है जिसकी रक्षा करना हमारा दायीत्व है ---
२० जुलाई २०२२
एक अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र चल रहा है भारत से हिन्दुत्व (सनातन धर्म) को समाप्त करने का ---
एक अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र चल रहा है भारत से हिन्दुत्व (सनातन धर्म) को समाप्त करने का। बहाना तो है सभी राष्ट्रनिष्ठ हिन्दू उद्योगपतियों, प्रधानमंत्री व केंद्र में सत्तासीन दल को हटा कर विदेश नियंत्रित सरकार की स्थापना करने का, लेकिन असली उद्देश्य है भारत से सनातन (हिन्दू) धर्म को नष्ट करने का। सनातन धर्म ही भारत की रक्षा कर रहा है। सनातन धर्म ही नहीं रहेगा तो भारत, भारत ही नहीं रहेगा।
एक ऐसी गुफा जिसमें वह समस्त खजाना छिपा है, जिसे हम ढूँढ रहे हैं ---
एक ऐसी गुफा जिसमें प्रवेश से आप भयभीत होते हो, पर जिसमें वह समस्त खजाना छिपा है, जिसे आप ढूंढ रहे हो ---
हिंदुत्व आध्यात्म पर आधारित ईश्वरीय व्यवस्था है ---
हिंदुत्व आध्यात्म पर आधारित ईश्वरीय व्यवस्था है ---
Monday, 24 February 2025
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस सृष्टि में सभी को परम मंगलमय हो ---
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस सृष्टि में सभी को परम मंगलमय हो ---
योग और भोग ---
योग और भोग ---
कौन सा Religion/मज़हब/पंथ/मत/सिद्धान्त सत्य है?
कौन सा Religion/मज़हब/पंथ/मत/सिद्धान्त सत्य है?
मेरी कोई समस्या नहीं है। "मैं हूँ" -- यह मेरा होना ही एकमात्र समस्या है। मैं नहीं होता तो सिर्फ परमात्मा ही होते। मैं जब नहीं था तब सिर्फ परमात्मा ही थे।
मेरी कोई समस्या नहीं है। "मैं हूँ" -- यह मेरा होना ही एकमात्र समस्या है। मैं नहीं होता तो सिर्फ परमात्मा ही होते। मैं जब नहीं था तब सिर्फ परमात्मा ही थे।
सत्य-सनातन-धर्म विजयी होगा, भारत विजयी होगा
सत्य-सनातन-धर्म विजयी होगा, भारत विजयी होगा।
ईश्वर को पाने की अभीप्सा जिनमें जागृत होगी, वे सनातन-धर्म को अपनायेंगे, क्योंकि सिर्फ सनातन-धर्म ही ईश्वर-प्राप्ति का मार्ग बताता है।
परमात्मा के सारे रूप ही मेरे धन हैं, जिन्हें न तो कोई मुझसे चुरा सकता है, न डाका डाल सकता है, और न कोई ठग मुझसे ठग सकता है।
परमात्मा के सारे रूप ही मेरे धन हैं, जिन्हें न तो कोई मुझसे चुरा सकता है, न डाका डाल सकता है, और न कोई ठग मुझसे ठग सकता है। उच्चतम स्तर पर तो ऐसी अनेक अनुभूतियाँ हैं, जिन्हें सिर्फ अनुभूत ही किया जा सकता है, वे व्यक्त नहीं हो सकतीं। कुछ हैं जिन्हें चित्रों के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है। भगवान पिता भी हैं, और माता भी। वे ही मित्र रूप में अपने ही शत्रु रूपों का संहार करते हैं, वे ही सारे संबंधी और मित्र हैं। चाहे उनके किसी रूप से संबंध-विच्छेद कर लो, चाहे युद्धभूमि में उनका वध करो, लेकिन मन में घृणा और द्वेष न हो। कर्ता सिर्फ परमात्मा ही हैं। हमारे मन का लोभ और अहंकार ही हमें उनसे दूर करता है। अहंभाव से मुक्त होकर यदि हम राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए इस लोक का भी नाश कर देते हैं तो कोई पाप हमें नहीं लगेगा। गीता में भगवान कहते हैं --
"गीता जयंती" और "मोक्षदा एकादशी"
कल मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी वि.सं. २०८०, तदानुसार शुक्रवार २२ दिसंबर सन् २०२३ को "गीता जयंती" और "मोक्षदा एकादशी" है। इसे अवश्य मनाएँ। किसी कर्मकांड के लिए शुभ मुहूर्त की जानकारी चाहिए तो अपने स्थानीय कर्मकांडी पंडित जी से पूछें। मेरी ओर से अग्रिम शुभ कामनाएं स्वीकार कीजिए।
उपसंहार ---
उपसंहार ---
मेरे लिए एक ही बात का महत्व है, और वह है -- "परमात्मा से परमप्रेम और निज जीवन में निमित्त-मात्र होकर परमात्मा की उच्चतम अभिव्यक्ति।"
मेरे लिए एक ही बात का महत्व है, और वह है -- "परमात्मा से परमप्रेम और निज जीवन में निमित्त-मात्र होकर परमात्मा की उच्चतम अभिव्यक्ति।"
आध्यात्मिक साधना की दृष्टि से इन दिनों एक बहुत ही पवित्र और शुभ समय चल रहा है ---
आध्यात्मिक साधना की दृष्टि से इन दिनों एक बहुत ही पवित्र और शुभ समय चल रहा है। किसी भी तरह के वाद-विवाद से बचें, और परमात्मा के विष्णु या परमशिव रूप का निरंतर ध्यान करते रहें। किसी भी तरह के वाद-विवाद में फँस भी जाएँ तो मौन रहें, और उस वातावरण और परिस्थिति से दूर चले जाएँ।
हे पुराणपुरुष, तुम निरंतर मेरे कूटस्थ-चैतन्य में रहो ---
हे पुराणपुरुष, तुम निरंतर मेरे कूटस्थ-चैतन्य में रहो ---
दीपावली से दस दिन पूर्व से ही आकाश-दीप (ज्योति-कलश) टाँगने की परंपरा न जाने कब से लुप्त हो गई?
दीपावली से दस दिन पूर्व से ही आकाश-दीप (ज्योति-कलश) टाँगने की परंपरा न जाने कब से लुप्त हो गई? इसे पुनःस्थापित कीजिये।