Tuesday, 31 December 2024

हम चाहे कितने भी ग्रन्थ पढ़ लें, कितने भी प्रवचन और उपदेश सुन लें, इनसे सिर्फ प्रेरणा मिल सकती है, भगवान नहीं ---

हम चाहे कितने भी ग्रन्थ पढ़ लें, कितने भी प्रवचन और उपदेश सुन लें, इनसे सिर्फ प्रेरणा मिल सकती है, भगवान नहीं। भगवान से प्रेम और उनका गहनतम ध्यान, और उस की निरंतरता -- बस ये ही प्रभु तक पहुंचा सकते है।

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भारत का पुनरोदय अपने परम ज्योतिर्मय मूल स्वरूप में हो। भारत की प्राचीन 'शिक्षा' और 'कृषि' व्यवस्था पुनः स्थापित हो। सब तरह का विजातीय प्रभाव भारत से समाप्त हो। किसी भी तरह के असत्य का अंधकार भारत में न रहे। इसके लिए सूक्ष्म दैवीय शक्तियों का आवाहन, और परमशिव से निरंतर प्रार्थना करता हूँ।
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आज ३१ दिसंबर की निशाचर-निशा है। निशाचरों वाले काम न करें, और सब तरह की बुराइयों से बच कर रहें। आनंद हमारा स्वभाव है, जिसका स्त्रोत परमात्मा है। परमात्मा का स्मरण, चिंतन, मनन, निदिध्यासन, ध्यान और भजन करें। आप आनंद से भर जाएँगे। जो क्रियायोग साधना करते हैं वे रात्रि में यथासंभव अधिकाधिक समय तक भगवान वासुदेव श्रीकृष्ण का ध्यान करें। जो भगवती श्रीविद्या के उपासक हैं, वे अधिकाधिक समय तक महात्रिपुरसुंदरी श्रीललिता की उपासना करें। अपने अपने इष्ट देवी-देवताओं की खूब उपासना करें। सब तरह की बुराइयों से रक्षा होगी, और आपका परम कल्याण होगा।
ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३१ दिसंबर २०२४

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