Tuesday, 31 December 2024

"निशाचर-रात्रि" (ग्रेगोरियन आंग्ल नववर्ष) की अभी से शुभ कामनाएँ ---

मेरी तो प्रतिदिन होली, और प्रतिरात्री दीपावली होती है। लेकिन निशाचर-रात्री प्रायः शुभ नहीं होती, बच कर रहें। इस रात्रि को निशाचर लोग मदिरापान, अभक्ष्य भोजन, फूहड़ नाच गाना, और अमर्यादित आचरण करते हैं। "निशा" रात को कहते हैं, और "चर" का अर्थ होता है चलना-फिरना या खाना। जो लोग रात को अभक्ष्य आहार लेते हैं, या रात को अनावश्यक घूम-फिर कर आवारागर्दी करते हैं, वे निशाचर हैं। रात्रि को या तो पुलिस ही गश्त लगाती है, या चोर-डाकू व तामसिक लोग ही घूमते-फिरते हैं। जिस रात भगवान का भजन नहीं होता, वह राक्षस-रात्रि है, और जिस रात भगवान का भजन हो जाए वह देव-रात्रि है।

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३१ दिसंबर की रात को विश्व के अधिकांश लोग निशाचर बन जाते हैं, और आंग्ल नववर्ष का आगमन बहुत अधिक तामसिक होता है। उस समय भगवान का भजन-कीर्तन, या ध्यान करें। लगभग १०-१२ वर्षों पूर्व एक बार इस रात्रि को श्मशान भूमि में एक विरक्त महात्मा के साथ भगवान के ध्यान, कीर्तन आदि में मनाया था। अब कहीं जाने का साहस नहीं है।
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३१ दिसंबर की मध्य रात्रि से ईसाई ग्रेगोरियन कलेंडर के अनुसार नववर्ष आरंभ हो जाएगा। मेरी व्यक्तिगत मान्यताएँ चाहे कुछ भी हों, मैं इस नववर्ष की उपेक्षा नहीं कर सकता, क्योंकि सारे विश्व में -- पूर्व साम्यवादी देशों, व मुस्लिम देशों आदि में भी इसी दिन की मध्य रात्रि से ही नववर्ष मनाया जाता है।
अपनी निजी मान्यताओं के कारण मैं तो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन भगवती दुर्गा की उपासना के साथ घट-स्थापना और उपवास कर के भक्तिभाव से भारतीय नववर्ष मनाता हूँ।
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मंगलमय शुभ कामनाएँ। ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !!
कृपा शंकर
३० दिसंबर २०२४

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