एक ही तड़प है मन में -- भगवान के निष्ठावान ज्ञानी भक्तों के दर्शन हों। परमात्मा में निजात्मा का विलय पूर्ण हो।
Friday, 27 December 2024
एक ही तड़प है मन में -- भगवान के निष्ठावान ज्ञानी भक्तों के दर्शन हों, परमात्मा में निजात्मा का विलय पूर्ण हो ---
Thursday, 26 December 2024
उपनिषदों के स्वाध्याय में बड़ा आनंद है, पूरा ब्रह्मज्ञान है उनमें ---
उपनिषदों के स्वाध्याय में बड़ा आनंद है। पूरा ब्रह्मज्ञान है उनमें। लेकिन मुझ में भावुकता बहुत अधिक है, भक्ति की जरा-जरा सी बातों पर भावुक हो जाता हूँ। भावुकता में कभी ध्यानस्थ हो जाता हूँ, और कभी आँखों से आंसुओं की झड़ी लग जाती है। सब लोग पूछते हैं कि रो क्यों रहे हो? मेरा एक ही उत्तर होता है कि "बहुत तेज जुकाम लगी हुई है"। आजकल तो भक्ति के अतिरिक्त अन्य कुछ समझ में भी नहीं आता, और अच्छा भी नहीं लगता। मेरा स्वभाव भक्ति-प्रधान है। अनेक ऐसे विषय हैं जो अभी समझ में आ रहे हैं।
Wednesday, 25 December 2024
दो अति महान व्यक्तित्व जिनकी तत्कालीन शासकों ने उनकी सत्यनिष्ठ विचारधारा के कारण सदा उपेक्षा ही की, और वे बिना किसी सरकारी मान्यता के Unsung Heros की तरह हमारे मध्य से चले गए ---
दो अति महान व्यक्तित्व जिनकी तत्कालीन शासकों ने उनकी सत्यनिष्ठ विचारधारा के कारण सदा उपेक्षा ही की, और वे बिना किसी सरकारी मान्यता के Unsung Heros की तरह हमारे मध्य से चले गए ---
भगवान के भजन के लिए यह मौसम बहुत अच्छा है (बुढ़ापा सबसे खराब चीज है)
भगवान के भजन के लिए यह मौसम बहुत अच्छा है (बुढ़ापा सबसे खराब चीज है)
हमारे जीवन का प्रथम, अंतिम और एकमात्र लक्ष्य/उद्देश्य -- "ईश्वर की प्राप्ति" है ---
हमारे जीवन का प्रथम, अंतिम और एकमात्र लक्ष्य/उद्देश्य -- "ईश्वर की प्राप्ति" है। इसके लिए कोई से भी साधन हों -- भक्ति, योग, तंत्र आदि सब स्वीकार्य हों।
हम परमब्रह्म परमशिव परमात्मा की ब्राह्मी-चेतना, यानि कूटस्थ-चैतन्य में, प्रयासपूर्वक निरंतर बने रहेंगे ---
हम परमब्रह्म परमशिव परमात्मा की ब्राह्मी-चेतना, यानि कूटस्थ-चैतन्य में, प्रयासपूर्वक निरंतर बने रहेंगे ---
यं प्राप्य न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ---
भगवान श्रीगणेश और जगन्माता को नमन करते हुए कुछ लिखने का प्रयास कर रहा हूँ। ध्यान-साधना का एकमात्र उद्देश्य है -- आत्म-साक्षात्कार यानि Self-Realization। एक बार परमात्मा की अनुभूति हो जाये तो साधक को उनसे परमप्रेम हो जाता है, और वह इधर-उधर अन्यत्र कहीं भी नहीं भागता। इस समय मध्यरात्रि है, और परमात्मा की चेतना में जो भी भाव आ रहे हैं, उन्हें ही यहाँ व्यक्त कर रहा हूँ।
यदि जीसस क्राइस्ट हैं तो वर्तमान ईसाई रिलीजन से उनका कोई संबंध नहीं है। वर्तमान ईसाई रिलीजन मात्र एक चर्चवाद है --
हे ईसाई मज़हब के प्रचारको, तुम लोग पूरे विश्व में एक असत्य का अंधकार फैला रहे हो। तुम लोग चाहो तो अपने मत में आस्था रखो, पर हमारे गरीब और लाचार हिंदुओं का धर्मांतरण मत करो। हमारे सनातन धर्म की निंदा और हम पर झूठे दोषारोपण मत करो। तुम लोगों ने भारत में सबसे अधिक अत्याचार और नरसंहार किये हैं। भारत का सबसे अधिक अहित तुम लोगों ने किया है।
काबा के हिन्दू होने के प्रमाण --- (लेखक : Sanjay Tiwari)
अरब की प्राचीन वैदिक संस्कृति : .
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स्वामी विवेकानंद का संकल्प दिवस ---
स्वामी विवेकानंद का संकल्प दिवस ......
ईसा मसीह नाम का कोई व्यक्ति हुआ ही नहीं, यह रोमन राज्य द्वारा गढ़ी हुई कहानी है --- (लेखक : श्री अरुण कुमार उपाध्याय)
क्रिसमस का अर्थ -- इसका ईसा मसीह से कोई सम्बन्ध नहीं है। आज कल कई इसाई लेखक मानते हैं कि इसा मसीह जैसा कोई व्यक्ति नहीं था, यह रोमन राज्य द्वारा गढ़ी हुई कहानी थी। कई बातें भगवान् कृष्ण की कथाओं से नकल की गयी हैं, जैसे हेरोद के शासन में छोटे बच्चों की हत्या। आज कल भारत में जन्माष्टमी की नकल पर ईसा जन्मदिन भी मना रहे हैं। जो ईसा को वास्तविक व्यक्ति मानते हैं, उनके अनुसार ईसा का जन्म ४ ई.पू. से पहले हुआ, किन्तु दिसम्बर नहीं मार्च या अप्रैल में। तुर्की के अंकारा के रोमन पुरालेख के अनुसार बाइबिल वर्णित हेरोद की मृत्यु १ ई. से कम से कम ४ वर्ष पूर्ब हो चुकी थी, जिसने बच्चों को मारने का आदेश दिया था। हेरोद के लिए कंस जैसा कोई कारण नहीं था। पर यदि उस समय ईसा पैदा हुए थे तो वह ४ ई.पू. के पहले हुए थे। ईसवी सन् का प्रचलन प्रायः ५३० ई. से आरम्भ हुआ तथा इसका आरम्भ ५३० वर्ष पूर्व कर दिया जब कुछ लोगों के अनुसार ईसा का जन्म हुआ था। (History of Calendar-Report of Panchanga Committe, part 3-pages 168, 170)।