Tuesday 25 October 2022

विजयदशमी का उद्देश्य :---

 (प्रश्न) :-- दशहरे पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाने से क्या होता है? इससे क्या रावण मर जाता है? इससे क्या अधर्म नष्ट हो जाता है? बच्चों के मनोरंजन से अधिक इसका क्या उपयोग है? क्या यह एक तमाशा मात्र नहीं है? क्या इसका कोई शास्त्रीय प्रमाण है?

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(उत्तर) :-- जी हाँ, रावण-दहन एक तमाशा मात्र है। इसका कोई भी शास्त्रीय विधि-विधान या प्रमाण नहीं है। मैं इसका विरोध करता हूँ। यह परंपरा अंग्रेजों ने उत्तर भारतीय व दक्षिण भारतियों में फूट डालने के लिए आरंभ करवाई थी। पुतला-दहन -- भारत की परंपरा ही नहीं है। यह भारत पर थोपी हुई परंपरा है। दिल्ली में राजनेता इसे वोट प्राप्ति की राजनीति के लिए प्रोत्साहित करते हैं। सनातन-हिन्दू-धर्म को नष्ट करने के लिए अंग्रेजों ने और भी अनेक कार्य किए थे, जिनके ऊपर अनेक मनीषियों ने खूब लिखा है।
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विजयदशमी का उद्देश्य :---
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विजयदशमी भारत में क्षत्रियों का एक पर्व है जिसमें वे अपने अस्त्र-शस्त्रों की पूजा करते हैं। इस दिन नीलकंठ का दर्शन होना शुभ माना जाता है। कई संप्रदायों के साधु-संत चातुर्मास के पश्चात इसी दिन सीमा-उल्लंघन करते हैं। इस दिन हमें अपने अस्त्र-शस्त्रों का पूजन, व भगवान श्रीराम की आराधना करनी चाहिए।
यह भी कहीं पढ़ा है कि इसमें अपराजिता की पूजा होती है। अपराजिता बेल की तरह की एक वनस्पति (Clitoria ternatea) भी होती है, और "अपराजिता" भगवान श्रीराम की आराधना का एक मंत्र भी होता है, जिसका पाठ युद्ध भूमि में प्रस्थान से पूर्व क्षत्रियों द्वारा किया जाता था। अपराजिता का मंत्र "हनुमत्कवच" में आता है। हनुमत्कवच इसी दिन सिद्ध होता होगा। विद्वान मनीषी इस पर प्रकाश डालें।
वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर विजयदशमी के दिन ही भगवान श्रीराम ने दस अश्वमेध यज्ञ किए थे। इस बारे में भी विद्वानों से अनुरोध है कि कुछ और प्रकाश डालें।
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सभी को विजयदशमी की मंगलमय शुभ कामनाएँ और नमन !!
ॐ तत्सत् !! जय जय श्रीसीताराम !!
कृपा शंकर
४ अक्तूबर २०२२

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