Tuesday 25 October 2022

भगवान के किस रूप की आराधना करूँ? ---

 भगवान के किस रूप की आराधना करूँ? ---

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वे किसी भी रूप में अपनी आराधना करवाएँ, यह समस्या उनकी है, मेरी नहीं। मेरी कोई आकांक्षा नहीं है। दिन में २४ घंटे, सप्ताह में सातों दिन उनका साकार ज्योतिर्मय रूप मेरे समक्ष रहता है। वे अपना स्वरूप कभी-कभी अपने आप बदलते रहते हैं। यह उन की समस्या है कि वे किस रूप में आयें। सारे रूप उन्हीं के हैं। वे ही पुरुष हैं, वे ही प्रकृति हैं, सब कुछ वे ही हैं। मैं तो निमित्त मात्र हूँ। कर्ता वे ही हैं। मेरा कोई आग्रह नहीं है।
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कूटस्थ में उनकी ज्योति निरंतर प्रज्ज्वलित रहती है, और नाद की ध्वनि निरंतर सुनाई देती है। उसी में ध्यान लगा रहता है। सारे नियम, सारे सिद्धान्त, मोक्ष-मुक्ति की कामना, कर्तव्य-अकर्तव्य, और धर्म-अधर्म सब पीछे छूट गए हैं। मेरा एकमात्र धर्म अब सिर्फ भगवान हैं। उनके अतिरिक्त अब कोई धर्म नहीं रहा है। इस समय जब मैं ये पंक्तियाँ लिख रहा हूँ, वे भगवान श्रीराधाकृष्ण के रूप में मेरे हृदय में हैं। एकमात्र अस्तित्व उन्हीं का है। वे ही सनातन शाश्वत हैं। ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१४ अक्तूबर २०२२

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