गहराई मे यदि उतरें तो हमारे में और परमात्मा में कोई दूरी नहीं है ---
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भगवान के और हमारे मध्य में कोई दूरी नहीं है। लेकिन एक रहस्य है, उसे समझना पड़ेगा। जब तक आप स्वयं को यह देह मानते हो, आप को कभी भी परमात्मा का बोध नहीं हो सकता। इस देह की चेतना से ऊपर उठना पड़ेगा।
हम यह देह नहीं, एक शाश्वत आत्मा हैं। जब आप आत्म तत्व को जान लोगे, उस समय परमात्मा की और आपके मध्य की सारी दूरियाँ मिट जायेंगी।
नारायण ! नारायण ! यह सारी सृष्टि आपके साथ नृत्य करेगी। आपको परम तृप्ति और संतुष्टि मिलेगी। समय लगता है। शीघ्र ही फिर मिलेंगे। अगली बार परमात्मा के साथ नृत्य करेंगे। ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
६ अक्टूबर २०२२
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