Tuesday 30 April 2019

प्रभु उसकी बुद्धि हर लेते हैं .....

"जाको प्रभु दारुण दुख देही, ताकी मति पहले हर लेही|"
"जाको विधि पूरन सुख देहीं, ताकी मति निर्मल कर देहि|"
जब प्रारब्ध में बुरे कर्मों के फल मिलने का समय आता है तो सबसे पहिले विधि उसकी बुद्धि को हर लेती है| इसी तरह जब अच्छे कर्मों का फल मिलने वाला होता है तब बुद्धि निर्मल हो जाती है|
.
योगसुत्रों में एक ऋतंभरा प्रज्ञा की बात कही गयी है| जब वह प्राप्त हो जाती है तब कभी विपरीत बुद्धि नहीं होती यानि बुद्धि कभी कुबुद्धि नहीं होती|

4 comments: