Tuesday 30 April 2019

महाप्रलय यानि महाविनाश निकट भविष्य में कैसे संभव है ? ....

महाप्रलय यानि महाविनाश निकट भविष्य में कैसे संभव है ? ....
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महा विनाश मनुष्य की बुद्धि के बिगड़ने से ही हो सकता है| यह एक तरह का प्रज्ञापराध ही है| पुराणों में कथाएँ आती हैं महाविनाश की कि पृथ्वी पर बोझ बहुत बढ़ गया तो पृथ्वी जलमग्न हो गयी, रसातल मे चली गयी आदि आदि| ये सब सत्य है और वैज्ञानिक दृष्टि से संभव भी है| पृथ्वी पर कोई भौतिक भार नहीं बढ़ता, पर हमारे दूषित विचारों से पृथ्वी पर बोझ बढ़ता है| हमारे ये दूषित विचार ही इस पृथ्वी की जनसंख्या के विनाश का कारण होंगे|
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पुराणों की कथाओं को पढ़ें तो एक बात तो स्पष्ट हो जाती है की पृत्वी तभी रसातल में गयी जब उस पर पाप बहुत अधिक बढ़ गया| पाप तभी बढ़ता है जब हमारे विचार प्रदूषित होते हैं| उस वैचारिक प्रदूषण का कारण पृथ्वी की गति पर अवश्य पड़ता है| पृथ्वी की गति में परिवर्तन से उसकी स्थिति में निश्चित परिवर्तन आयेगा जो महाविनाश का कारण बन सकता है|
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पृथ्वी अपनी धुरी का चक्कर १६१० किलोमीटर प्रति घंटे की गति से २३ घंटे ५६ मिनट और ४ सेकंड में पूरा करती है| सूर्य की परिक्रमा करने में पृथ्वी को ३६५ दिन ५ घंटे ४८ मिनट और ४६ सेकंड लगते हैं| पृथ्वी अपने अक्ष पर २३ डिग्री ३० मिनट झुकी हुई है| पृथ्वी की गति के समय (२३ घंटे ५६ मिनट और ४ सेकंड) में थोड़ा सा भी परिवर्तन हो जाए तो इस बात की पूरी संभावना है कि पृथ्वी का अपने अक्ष पर झुकाव बदल जाएगा जो वर्तमान में २३ डिग्री ३० मिनट है| पृथ्वी के अपने झुकाव पर थोड़े से भी परिवर्तन से ध्रुवों की स्थिति बदल जायेगी| ध्रुवों की स्थिति का थोड़ा सा भी परिवर्तन सारी पृथ्वी की जलवायु को बदल देगा| दोनों ध्रुवों पर जमी बर्फ एक बार तो पिंघल जायेगी, उस से आधी से अधिक पृथ्वी जलमग्न हो जायेगी| इसी को महाप्रलय कहते हैं जो वैज्ञानिक रूप से पूर्णतः संभव है| विष्णु पुराण में इस बात के कुछ संकेत दिए हैं जिनके आधार पर निकट भविष्य में महा विनाश की पूरी संभावना है|
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आप सब को मेरा सादर प्रणाम ! रामनवमी की भी सभी को पुनश्चः राम राम !
कृपा शंकर
१३ अप्रेल २०१९

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