Tuesday 30 April 2019

यतो धर्मस्ततो जयः ......

(पुनर्प्रस्तुत). यतो धर्मस्ततो जयः ......
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मेरी दृष्टी में इस आंग्ल वर्ष २०१९ में होने वाला यह लोकसभा का चुनाव एक धर्मयुद्ध और स्वतंत्रता संग्राम है| महाभारत में विभिन्न सन्दर्भों में पचास बार से अधिक "यतो धर्मस्ततो जयः" वाक्य आया है| मैं अपने पूर्ण हृदय से भगवान से प्रार्थना कर रहा हूँ और नित्य करूँगा कि इस चुनाव में विजय धर्म के पक्ष की ही हो, और अधर्म का नाश हो| भगवान हमें इस योग्य बनाए और इतनी क्षमता दे कि हम धर्म की रक्षा कर सकें| भगवान ने भी वचन दिया है .....
"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत| अभ्युत्थानमधर्मस्य तदाऽऽत्मानं सृजाम्यहम्||४:७||"
"परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्| धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे||४:८||"
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हम अपना मत धर्म के पक्ष में ही दें| विजय वहीं होगी जहाँ धर्म होगा| मुझे पूर्ण विश्वास, श्रद्धा, और आस्था है कि भगवान के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप का समय आ गया है| भगवान अपना वचन निभायेंगे| मैं सभी भारतवासियों की ओर से प्रार्थना करता हूँ ..... 'धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों मे सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो|''
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जो मनुष्यता की हानि कर रहे हैं, जो गोबध का समर्थन कर रहे हैं, जो अपनी विचारधारा और पंथों की श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए हिंसा कर रहे हैं, उन सब का नाश हो| जिस संस्कृति की रक्षा के लिए महाराणा प्रताप, क्षत्रपति शिवाजी, गुरु तेगबहादुर, गुरु गोविंदसिंह, बन्दा बैरागी, भाई मतिदास, संभाजी आदि आदि, और स्वतन्त्रता संग्राम के लाखों भारतियों ने अपनी अप्रतिम आहुति दी, उस सनातन संस्कृति की रक्षा हो|
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विजय निश्चित रूप से धर्म की ही होगी| गोस्वामी तुलसीदासकृत रामचरितमानस के लंकाकाण्ड में से उदधृत कर रहा हूँ .....
"रावनु रथी बिरथ रघुबीरा। देखि बिभीषन भयउ अधीरा।।
अधिक प्रीति मन भा संदेहा। बंदि चरन कह सहित सनेहा।।
नाथ न रथ नहिं तन पद त्राना। केहि बिधि जितब बीर बलवाना।।
सुनहु सखा कह कृपानिधाना। जेहिं जय होइ सो स्यंदन आना।।
सौरज धीरज तेहि रथ चाका। सत्य सील दृढ़ ध्वजा पताका।।
बल बिबेक दम परहित घोरे। छमा कृपा समता रजु जोरे।।
ईस भजनु सारथी सुजाना। बिरति चर्म संतोष कृपाना।।
दान परसु बुधि सक्ति प्रचंड़ा। बर बिग्यान कठिन कोदंडा।।
अमल अचल मन त्रोन समाना। सम जम नियम सिलीमुख नाना।।
कवच अभेद बिप्र गुर पूजा। एहि सम बिजय उपाय न दूजा।।
सखा धर्ममय अस रथ जाकें। जीतन कहँ न कतहुँ रिपु ताकें।।"
"महा अजय संसार रिपु जीति सकइ सो बीर।
जाकें अस रथ होइ दृढ़ सुनहु सखा मतिधीर।।"
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मैं भगवान श्रीराम से प्रार्थना करता हूँ, जिहोनें आतताइयों के नाश के लिए धनुष धारण कर रखा है, वे भारतवर्ष की और धर्म की रक्षा करें|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२७ मार्च २०१९

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