जो विभा में रत है, जहाँ से ज्योति की अति सूक्ष्म रेखाओं का प्रवाह सम्पूर्ण सृष्टि को ज्योतिर्मय बना रहा है, वह भारत है। भारत एक ऊर्ध्वमुखी चेतना है जो निज जीवन में परमात्मा को व्यक्त कर रही है। भारत की चेतना सम्पूर्ण सृष्टि को परमात्मा की चेतना में रत कर रही है। परमात्मा का प्रकाश यहाँ से चारों ओर फैल रहा है। भारत अखंड हो, और असत्य का अंधकार यहाँ से सदा के लिए दूर हो। भगवान भारत भूमि में फिर से अवतरित होंगे।
.
अखंड भारत कोई कल्पना नहीं, हमारा विचारपूर्वक किया हुआ संकल्प है, जिसे फलीभूत करने को प्रकृति की प्रत्येक शक्ति बाध्य होगी। हमारी श्रद्धा, विश्वास और आस्था कभी विफल नहीं हो सकती। कोई हमारे विचारों से सहमत हो या नहीं हो, लेकिन हम अपने विचारों पर दृढ़ हैं। भारत की आत्मा एक है, अतः भारत का अखंड होना निश्चित है। हम भारत के प्राचीन वैभव को दुबारा प्राप्त करेंगे। हम हर दृष्टिकोण से शक्तिशाली बन कर, अपने संकल्प को साकार करेंगे। केवल भारत की आत्मा ही इस देश को एक कर सकती है, जिसके साथ हम एक हैं।
.
भारत माँ अपने द्विगुणित परम वैभव के साथ अखण्डता के सिंहासन पर बिराजमान हो रही हैं, और अपने भीतर और बाहर छाए हुए असत्य के अंधकार को दूर कर अपने शत्रुओं का विनाश कर रही है। भारत अखंड होगा, धर्म की पुनःस्थापना और वैश्वीकरण भी होगा। भारत के बिना धर्म नहीं है, और धर्म के बिना भारत नहीं है। धर्म की रक्षा स्वयं भगवान करते हैं ---
"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदाऽऽत्मानं सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे॥" (श्रीमद्भगवद्गीता ४:७ व ४:८).
.
१४ अगस्त का दिन शोक का दिन है, मातम का, इस अपराध बोध का कि हमने इस दिन पाकिस्तान नाम के एक राक्षस को जन्म दिया था। इसके लिए मनुष्यता का इतिहास भारत के तत्कालीन राजनीतिक-तंत्र को कभी क्षमा नहीं करेगा। भारत का सत्ता-हस्तांतरण हुआ, तो भी किस मूल्य पर? भारत माता की दोनों भुजाएँ पकिस्तान के रूप में काट दी गईं, लाखों परिवार विस्थापित हुए, लाखों निर्दोष लोगों की हत्याएँ हुईं, लाखों निर्दोष असहाय महिलाओं का बलात्कार हुआ, और लाखों असहाय लोगों का बलात् धर्मांतरण हुआ। क्या इन सब बातों को भुलाया जा सकता है? यह विश्व के इतिहास का सबसे बड़ा सामूहिक नरसंहार था।
.
एक प्रचंड आध्यात्मिक शक्ति के बल पर भारत अखंड होगा। हमारे निज जीवन में परमात्मा की पूर्ण अभिव्यक्ति हो। वन्दे मातरम्॥ भारत माता की जय॥
कृपा शंकर
१४ अगस्त २०२४
.
हे जन्म भूमि भारत, हे कर्म भूमि भारत,
हे वन्दनीय भारत, अभिनंदनीय भारत।
जीवन सुमन चढ़ाकर, आराधना करेंगे,
तेरी जनम-जनम भर, हम वंदना करेंगे।
हम अर्चना करेंगे ॥१॥
महिमा महान तू है, गौरव निधान तूँ है,
तू प्राण है हमारा, जननी समान तूँ है।
तेरे लिए जियेंगे, तेरे लिए मरेंगे,
तेरे लिए जनम भर, हम साधना करेंगे |
हम अर्चना करेंगे ||२||
जिसका मुकुट हिमालय, जग जग मगा रहा है,
सागर जिसे रतन की, अंजुली चढा रहा है।
वह देश है हमारा, ललकार कर कहेंगे,
इस देश के बिना हम, जीवित नहीं रहेंगे।
हम अर्चना करेंगे ||३||
जो संस्कृति अभी तक दुर्जेय सी बनी है,
जिसका विशाल मंदिर, आदर्श का धनी है।
उसकी विजय-ध्वजा ले हम विश्व में चलेंगे,
सुर संस्कृति पवन बन हर कुंज में बहेंगे।
हम अर्चना करेंगे ॥४॥
शाश्वत स्वतंत्रता का, जो दीप जल रहा है,
आलोक का पथिक जो, अविराम चल रहा है।
विश्वास है कि पल भर, रूकने उसे न देंगे।
उस दीप की शिखा को, ज्योतित सदा रखेंगे॥"
हम अर्चना करेंगे ॥५॥
भारत माता की जय !!
No comments:
Post a Comment