Sunday 25 August 2024

'देवो भूत्वा देवं यजेत्' --- ('शिवो भूत्वा शिवं यजेत्') -

 'देवो भूत्वा देवं यजेत्' --- ('शिवो भूत्वा शिवं यजेत्') -

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जिसका जैसा स्वभाव है वह वैसा ही लिखेगा। मेरा स्वभाव भक्ति है तो मैं भक्ति पर ही लिखूंगा। मुझ अकिंचन के पास परमात्मा को छोड़कर अन्य कुछ है भी नहीं।
नदी का विलय जब महासागर में हो जाता है, तब नदी का कोई नाम-रूप नहीं रहता, सिर्फ महासागर ही महासागर रहता है। वैसे ही हमारा भी विलय जब परमात्मा में हो जाता है, तब सिर्फ परमात्मा ही रहते हैं, हम नहीं।
हमारा समर्पण पूर्ण हो। 🕉🕉🕉 ‼️
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सारी शाश्वत जिज्ञासाओं का समाधान, सभी प्रश्नों के उत्तर, पूर्ण संतुष्टि, पूर्ण आनंद और सभी समस्याओं का निवारण -- सिर्फ और सिर्फ परमात्मा में है। अपनी चेतना को सदा कूटस्थ में रखो और निरंतर परमात्मा का स्मरण करते हुए अपने हृदय का सम्पूर्ण प्रेम उन्हें दीजिये। आगे का पूरा मार्गदर्शन स्वयं परमात्मा करेंगे।
ॐ तत्सत् । ॐ ॐ ॐ ॥
कृपा शंकर
२१ अगस्त २०२४

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